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मसीही सेवकाई - Contents
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    अत्याचार की महत्ता

    वे अत्याचार के कारण यहां वहां भटक गये। किन्तु जहां भी गये प्रचार कार्य को जोश से किया। उन्होने अपने कर्तव्य को पूरा करने की जिम्मेदारी को समझा। उन्हें पता था उनके हाथ में जो जीवन की रोटी है वह इस अकाल गस्त जगत के लिये है और प्रभु यीशु के प्रेम से पूर्ण व जहां भी गये उन्होने उन जरूरतमंदो के लिये प्रभु की रोटी तोडी। (द एक्ट आफॅ अपॉसल्स-100) ChsHin 221.1

    परमेश्वर का मत है, कि परखे जाने वाला सत्य सबके सामने लाया जाना चाहिये और उसे बहस और परीक्षण का मुददा बनाया जाना चाहिये । तब भी जब इस विशय को घष्णा करने के कारण उठाया जाये। लोगों के मन सोचने पर मजबूर हो जाने चाहिये। हर एक संघर्श तिरस्कार कलंक आदि सभी परमेश्वर के सहयोगी होगें जो लोगों को जगाने वाली जांच पडताल, सोये हुये को जगाने का कारण साबित होगें । (द टेस्टमनीज फार द चर्च 5:455)ChsHin 221.2

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