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मसीही सेवकाई - Contents
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    रौशनी पुँज और आशिश

    हमें वह पूर्ण समर्पित स्त्रोत बन जाना चाहिए, जिनके द्वारा स्वर्गीय जीवन दूसरों तक पहुँचाया जा सके। पवित्र आत्मा सभी के लिये कार्य करेगा तथा सम्पूर्ण कलीसिया को बढ़ाता, पवित्र तथा पक्का विश्वास करने वाला बना देता है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:20)ChsHin 23.2

    प्रत्येक अनुयायी को यीशु मसीह के सुसमाचार को फैलाने का काम एक मिशनरी के रूप में करना है, अपने परिवार में, पड़ौस में, गाँव या षहर, जिसमें वह रहता है। वे सब जिन्होंने प्रभु को अपना जीवन समर्पित किया है, वे सब प्रभु के प्रकाश को फैलाने वाले हैं। प्रभु उन्हें अपनी धार्मिकता के अगुवों के रूप में लोगों को बताने के लिये इस्तेमाल करता है कि सच्चाई की रौशनी वही है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:632)ChsHin 23.3

    प्रभु यीशु के कामों का परिणाम, जैसा वह थका-हारा और भखा कुएँ के पास बैठा था, एक आशिश के रूप में उस इलाके में फैल गया। केवल एक आत्मा जिससे उसने सहायता माँगी, वह स्वयं ही उसके बारे में सारे लोगों को बताने के लिये, संदेश फैलाने का साधन बन गई और उन्हें प्रभु यीशु, उद्धारकर्ता के पास ले आई। ये सारे प्रभु के ही कार्य करने का तरीका है जिनसे पष्थ्वी पर प्रभु के लोगों में वर्षद्ध हुई। अपनी रौशनी चमकाओं और दूसरे भी रौशन हो। (गास्पल वर्कर्स- 195)ChsHin 24.1

    कई लोगों का यह विचार है कि वे केवल मसीह के प्रति ही उनके रौशनी एवं अनुभवों के लिये जिम्मेदार है, और पथ्वी भर में उसके पीछे चलने वाले केवल वे ही प्रमाणित शिष्य हैं। प्रभु यीशु पापियों का मित्र है, उसका हृदय उनके दुःखों से खेदित है। उसको स्वर्ग और पथ्वी दोनों का सम्पूर्ण अधिकार है किन्तु वह इस बात का आदर करता हैं कि उसका अभिशेक मानव जाति को समझाने, बताने और उसका उद्धार करने के लिये किया गया है। वह हर पापी को कलीसिया में आने के लिये अगुवाई करता है, जिसे उसने पथ्वी के लोगों के लिये जीवन की रौशनी का स्त्रोत ठहराया है। (द एक्ट्स ऑफ अपॉसल्स- 122)ChsHin 24.2

    प्रारंभिक कलीसिया को प्रारंभ में काफी बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार का काम करना पड़ा था। क्योंकि जहाँ कहीं वे जाते थे, वहीं वे लोग, जो ईमानदारी से प्रभु की सेवा में लग जाना चाहते थे, उनके द्वारा रौशनी और आशिशों के केन्द्र स्थापित कर आगे बढ़ जाते थे। (द एक्ट ऑफ अपॉस्टल- 90)ChsHin 24.3

    जिस प्रकार सूर्य की रौशनी पष्थ्वी के दूर-दराज इलाकों को भी भेद देती है, एक-एक कोना रौशनी से भर जाता है, वैसे ही परमेश्वर भी अपनी प्रजा के लोग जो दुनिया के कोने-कोने में हैं, उन तक सुसमाचार की रौशनी पहुँचाने के लिये योजना बनाता है। यदि प्रभु में स्थापित हर एक कलीसिया परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करने में तन-मन से जुट जाती, तो अब तक हर एक जो संसार के अंधकार में, मष्त्यु के चंगुल में है, उसे जीवन की, अनन्त जीवन की रौशनी मिल गई होती। (थॉट्स फ्रॉम द माऊण्ट ऑफ ब्लेसिंग्स- 42)ChsHin 24.4

    यह हर एक प्राणी के लिये विशेश सम्मान की बात है कि जीवित रहते हुये वे प्रभु और लोगों के बीच एक ‘कड़ी’ एक ‘मध्यस्थ का काम करें, जो प्रभु उनसे चाहता है, वह उन तक पहुँचा सकें और वह है अनुग्रह का खजाना, प्रभु यीशु मसीह, जो बड़ी आसानी से मिलने वाला धन है। ये कोई ज्यादा नहीं कि प्रभु चाहता है कि हम उसके मध्यस्थ बने और सारे जगत के सामने उसकी पवित्र आत्मा और निष्कलंक चरित्र प्रस्तत करें। ये भी कुछ अधिक नहीं कि संसार को मनुश्यों के द्वारा ही एक सच्चे उद्धारकर्ता के अद्भुत प्रेम के बारे बताया और दिखाया जाये। संपूर्ण स्वर्ग और उसकी षक्तियाँ ऐसे स्त्रोतों (लोगों) की प्रतिक्षा कर रही हैं जो पथ्वी के लोगों पर पवित्र आत्मा का तेल उड़ेलने तथा उनके जीवन खुषियों और आशिशों से भर देने के लिये अग्रसर होते है। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स- 419)ChsHin 25.1

    परमेश्वर के भवन की प्रशंसा उसके सदस्यों की पवित्रता पर निर्भर करती है, क्योंकि उसी में प्रभु यीशु की सामर्थ पाई जाती है। परमेश्वर के वफादार और कर्मठ बेटे और बेटियों का प्रभाव चाहे कमतर ही गिना जाये, किन्त वह छोटा सा काम हमेषा याद रखा जायेगा और ‘पुरूस्कार पाने के दिन’ उस काम का उल्लेख किया जायेगा। एक सच्चे मसीही का प्रकाष, पूरी पवित्रता के साथ दष्ढ़ता से चमकता हुआ, कभी न डिगने वाला विश्वास पूरे जगत को, जीवित प्रभु यीशु जो उद्धारकर्ता है की सामर्थ को सिद्ध करेगा। उसके शिष्यों में प्रभु यीशु जीवन के जल का सोता बन उछल पड़ेगा जो हरेक को अनन्त जीवन प्रदान करता है। यद्यपि संसार उन्हें नहीं जानता किन्तु परमेश्वर ऐसों को जो उसके विशेश लोग होंगे, प्रतिश्ठित करेगा। उसके चुने हुये बर्तन, उसके स्त्रोत, जहाँ से जीवन की ज्योति एवं जीवन जल संसार के लोगों को प्राप्त होता है। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 24 मार्च, 1891) ChsHin 25.2

    कलीसिया के लोगों, अपनी ज्योति संसार में फैलाओ। अपनी आवाज़, प्रार्थनाओं में बुलन्द करो, उन चंचल मन वाले लोगों को गवाही दो, जो इस संसार के अनुसार जीवन जीते हैं, उन लोगों के बीच प्रभु के सुसमाचार का और सच्चाई की उद्घोशणा करो, जो वर्तमान समय के लिये आवश्यक है। तुम्हारी आवाज़, तुम्हारा प्रभाव व छवि, तुम्हारा समय, ये सब परमेश्वर की ओर से दान हैं, जिनका उपयोग प्रभु यीशु के लिये आत्माओं को जीतने के लिये किया जाना चाहिए। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:38)ChsHin 25.3

    मुझे यह दिखाया गया है कि प्रभु के शिष्य इस पष्थ्वी पर इसके प्रतिनिधि हैं और परमेश्वर चाहता है कि वे इस जगत की ज्योति हों, उन लोगों के लिये, जो इस संसार के अनैतिक अंधकार में हैं, जो सभी देशों में, षहरों में, कस्बे में, गाँवों में पाये जाते हैं। ” संसार के लिये, स्वर्गदूतों के लिये और मनुश्य के लिये एक अद्भुत चमत्कार”ChsHin 26.1

    (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:631) प्रभु के शिष्यों को जगत की ज्योति ठहराया गया है। लेकिन प्रभु उन्हें मजबूर नहीं करता कि वे अपनी ज्योति फैलाने में कठिन परिश्रम करें। वो यह भी नहीं चाहता कि कोई अपने स्वार्थपूर्ण कार्य द्वारा अपने पर भरोसा रखकर सर्वश्रेश्ठ काम कर दिखाने का दिखावा करें। प्रभु चाहता है कि उनका जीवन स्वर्गीय सिद्धान्तों से परिपूर्ण हो और जब वे संसार के लोगों के करीब आते हैं, तब वे स्वयं में पाई जाने वाली सच्चाई को उन पर प्रकट करें। उनकी कर्त्तव्यनिश्ठा, उनके जीवन में किये गये हर एक काम को रौशन करने में सहायता करेगी। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग- 36)ChsHin 26.2

    जब, षाऊल उसके अनजाने अंधेपन और बदला लेने की भावना से ग्रसित था, उसे प्रभु यीशु की ओर से प्रकाशना मिली जिन्हें वह सता रहा था। वह कलीसिया से सीधा संबंध बातचीत के द्वारा बनाये हुये था, जो संसार के लिये ज्योति था। इस मामले में हनन्याह, प्रभु यीशु का प्रतिनिधि त्व करता है साथ ही यीशु के प्रचारक होने का भी काम करता है, जो पृथ्वी पर है और उसके बदले में उसका कार्य करने के लिये नियुक्त किये गये है। यीशु खीश्ट के स्थान पर हनन्याह, पाऊल की आँखों को छूता है, ताकि उनमें दृश्टि पाई जाये । यीशु के स्थान पर वह उसका हाथ पाऊल के ऊपर रखता है और यीशु के नाम से प्रार्थना करता है। तब षाऊल को पवित्र आत्मा प्राप्त होता है। सभी कुछ प्रभु के नाम से और उसके अधिकार के अनुसार किया गया प्रभु यीशु जीवन का जल है और कलीसिया उस जल को लोगों तक पहुँचाने वाली जल धाराएँ हैं। (द एक्ट ऑफ द अपॉसल्स- 122)ChsHin 26.3

    पाप ने हर जगह अपने पैर पसारे हैं, मनुश्यों का कट्टर दुश्मन अपनी पूरी ताकत इकट्ठा कर रहा है, वह हर एक चीज को इस तरह व्यवस्थित कर, मनुश्यों की बुद्धि को गलतियों का पिटारा बनाकर, उन्हें असमंजस में डाल रहा है। और इस तरह आत्माओं को विनाश की ओर ले जा रहा है। आज जिन्हें परमेश्वर ने सच्चाई के उसके खजाने को सौंप दिया है, उनका काम हैं कि वे उन नैतिक अंधकार में पड़ी आत्माओं पर जीवन की ज्योति चमकायें। (हिस्टॉरिकल स्केचेन- 290)ChsHin 26.4

    परमेश्वर चाहता है कि उसके लोग दुनिया में ज्योति की तरह चमकें। ये काम केवल प्रभु के सेवकों का ही नहीं पर यीशु के हरेक चेले का है। उनकी बातचीत में स्वर्गीय तत्व की छाप होनी चाहिए और जब वे परमेश्वर से बात करते हैं तब उस अनुभव को लोगों के साथ बाँटने के लिये उत्साहित होते हैं, षब्दों व कार्यों के द्वारा वे प्रभु के प्रेम को लोगों के हृदय तक पहुँचाते हैं, ताकि वे भी प्रभु से प्रेम करने लगे। इस तरह वे एक ऐसी ज्योति होंगे जो पूरे जगत को अपनी सच्चाई की किरणों से रौशन कर देंगे। वे ज्योति व्यर्थ नहीं होगी और न ही उनसे छीनी जा सकती है। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:122, 123) ChsHin 27.1

    प्रभु के चेले धार्मिकता के साधक, कार्यकर्ता, जीवित चट्टान, ज्योति बिखेरने वाले होने चाहिए, जिससे वे स्वर्गदूतों की उपस्थिति को उत्साहित कर सके। उन्हें ऐसे मध्यस्थ होने की आवश्यकता है, जिनमें से सत्य की आत्मा और धार्मिकता धारा की नाई बहती हो। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 2:126, 127) ChsHin 27.2

    परमेश्वर ने अपनी कलीसिया को स्वर्गीय छवि का सुरक्षा कोश ठहराया है। स्वर्गीय जगत सारे लोगों को ऐसे स्रोत बनाने की प्रतिक्षा कर रहा है, जिनमें से होकर अनन्त जीवन का तरंग संसार के हर एक प्राणी तक पहुँचे, ताकि सभी को बदलने का अवसर मिले और जब वे जीवन को पा लें तब वे भी प्रभु यीशु के अनुग्रह की जल धारा को प्रभु के बाग के उन सूखे रेगिस्तानी हिस्सों में पहुँचा सकें, जहाँ का क्षेत्र सूखा ग्रस्त है। (द बाइबल एको- 12 अगस्त, 1901) ChsHin 27.3

    हरेक वह व्यक्ति जो परमेश्वर से जुड़ा है, प्रभु के सत्य की ज्योति दूसरों को बाँटेगा। यदि कोई ऐसा है, जिसके पास वह रौशनी नहीं है, इसका अर्थ है वह परमेश्वर से जो ज्योति का स्त्रोत है, जुड़ा नहीं है। (हिस्टॉरिकल स्केचेज़- 291) ChsHin 27.4

    परमेश्वर ने उसके बच्चों को दूसरों तक सत्य को ज्योति पहुँचाने के लिये नियुक्त किया है। यदि वे पवित्र आत्मा के द्वारा षक्ति पाने के बावजूद भी इस काम को करने में नाकाम होते हैं, और अनेक आत्मायें पाप के अंधकार में उनकी नाकामी के कारण छूट जाती हैं, तो अवश्य है कि पिता इस बात के लिये उन्हें दोशी ठहरायेगा। हमें इसीलिये अंधकार से निकाल कर अद्भुत ज्योति दी गई है ताकि हम भी प्रभु की प्रशंसा को आगे और आगे बढ़ाते जायें। (द रिव्यू एण्ड द हैरल्ड- 12 दिसम्बर, 1893)ChsHin 27.5

    वे सभी जिन्होंने अपना जीवन प्रभु को समर्पित किया है, वह जीवन की ज्योति का स्त्रोत बन जाता है। परमेश्वर उन्हें अपना मध्यस्थ बनाता है, ताकि वे प्रभु की दया रूपी धन को लोगों को बता सकें। हमारा अधिक प्रभाव लोगों पर तब नहीं पड़ता जब हम बोलते हैं किन्तु तब पड़ता है, जब उन्हें हमारे जीवन व व्यवहार के बारे में स्वयं देखकर अनुभव होता है कि हम क्या हैं ? मनुश्य षायद हमारे सिद्धान्तों को मानने से इंकार करें, उन पर बहस करें, यहाँ तक कि हमारी अपीलों को भी न माने, फिर भी एक ऐसा जीवन जो अपना कर्त्तव्य निभाने के लिये दाँव पर लग गया है, जो हर तरह का प्रयास करने को तैयार है, उससे लोग जीत नहीं सकते । एक समायोजित जीवन प्रभु की उदारता के गुण से पूर्ण जीवन ही वह षक्ति है, जो जगत में कार्य करती है। (द डिज़ायर ऑफ एजेंज- 141, 142)ChsHin 28.1

    वे जिनके पास ज्योति तो थी पर उनका प्रकाश लोगों पर उतना प्रभाव नहीं डाल पाया, जैसा होना था। यह ज्योति क्या है ? यह है परमेश्वर की पवित्रता भलाई सत्य, दया, प्रेम; ये सारे गुण परमेश्वर की सत्यता लोगों तक पहुँचाते है। अतः ये सारे गुण परमेश्वर के लोगों में होना चाहिये। सुसमाचार प्रचार व्यक्तिगत पवित्रता पर निर्भर करता है जो एक विश्वासी की होना चाहिए। ताकि वह प्रभावशाली हो, इसके लिये परमेश्वर ने अपने प्रिय पुत्र की मष्यु का प्रयोजन पहले ही से कर दिया था कि हर एक आत्मा पूर्ण रूप से अच्छे व भले काम करने के लिए तैयार हो जाये। हर एक आत्मा को अद्भुत ज्योति से ज्योतिमान होना है। उस प्रभु की महिमा का बखान करने के लिए जिसने हमें अंधकार से निकालकर उसकी अद्भुत ज्योति में लाया है। “हम सब प्रभु के साथ उसके मजदूर हैं।’ हाँ, मजदूर, जिन्हें प्रभु के जगत रूपी दाख की बारी में ईमानदारी से काम करना है। बहुत सी आत्माओं को बचाया जाना बाकी है, वे जो कलीसिया में हैं, वे जो सब्वत— स्कूल में भी हैं और हमारे आस पड़ोस में भी पाए जाते हैं। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 24 मार्च, 1891) ChsHin 28.2

    ये काम उन लोगों का है, जो अपनी स्वयं की आत्मा को जीवित रखते है, यदि वे इस काम में प्रभु यीशु का साथ और सहयोग प्रार्थना व उपवास के द्वारा प्राप्त करते हैं, तब हम देखेंगे कि कलीसिया के द्वारा सत्यता की ज्योति और ज्यादा तेजी से चमकेगी, अपनी सारी बाधाओं को भेदते हुये सारे अंधकार को दूर कर सत्यता की रौशनी फैलेगी। (हिस्टॉरिकल स्केचेज- 291) ChsHin 28.3

    “तुम जगत की ज्योति हो” यहूदियों ने सोचा था कि उद्धार का जीवन का लाभ केवल उनके अपने लोगों के लिये है; किन्तु प्रभु यीशु ने उन्हें बताया कि उद्धार सूर्य की रौशनी के समान है। यह संपूर्ण जगत के लिये है। (द डिज़ायर ऑफ एजेज़- 306)ChsHin 29.1

    वे हृदय जो पवित्र आत्मा के प्रभाव के प्रति अपनी प्रतिक्रिया दर्शाते हैं, वे ही वे माध्यम होते हैं, जिनके द्वारा परमेश्वर की आशिशें दूसरों तक पहुँचती हैं। यदि वे लोग जो परमेश्वर के सेवक हैं, पष्थ्वी पर से हटा लिये जायें और यदि परमेश्वर का आत्मा वापस ले लिया जाये तो जगत में खालीपन और विनाश, जो पैतान के राज्य के फल हैं, ही षेश रह जायेंगे। हालाकि, दुश्ट लोग ये नहीं जानते कि वर्तमान जीवन वो जी रहे है। वह इस जगत में परमेश्वर के उन लोगों के कारण है, जिन्हें वे दबाते और घष्णा करते है। यदि वे केवल नाम मात्र के मसीह हैं तो उस नमक के समान हैं जिसका स्वाद जाता रहा है। उनका इस जगत में कोई भला प्रभाव नहीं है, उन दुश्ट लोगों ने प्रभु को जिस प्रकार गलत तरह से दर्शाया है, उसके कारण वे दुनिया के सबसे बुरे अविश्वासी लोग ठहरेंगे। (द डिज़ायर ऑफ एज़ेज़- 306)ChsHin 29.2

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