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मसीही सेवकाई - Contents
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    स्मरण रखने योग्य

    हमारे सभी सहयोगियों के साथ, हमें यह याद रखना चाहिये कि दूसरों के अनुभवों में कुछ ऐसे अध्याय छुपे हुये होते है। जो हमे अपनी नाशवान आंखो से दिखाई नही देते हमारी यादों के पन्नों पर कई ऐतिहासिक दुख पूर्ण यादे है, जिन्हें होते हुये देखा गया था वहाँ अनेक लम्बे चलने वाले, कठिन युद्धों का जिक्र है जो कठिन परिस्थितियों में लड़े गये, शायाद घरेलू जीवन में परेशानी के कारण भी, जिससे दिन व दिन लोगों का साहस,आत्म—विश्वास और भरोसा कमजोर पड़ता गया। जो आज भी जीवनकी लड़ाई कठिन परिस्थितियों मे लड़ रहे है, शायद हिम्मत बांधे और उत्साहित हो जब कोई बड़े प्रेम से उनकी और थोड़ा ही ध्यान दे। ऐसों के लिये सहायता और थोड़ा ही ध्यान दे। ऐसो के लिये सहायता और हिम्मत देने के लिये बढ़ाया गया हाथ, जो उसका सच्चा मित्र है उसके लिये सोने और चांदी से बढ़कर होगा। दयालुता के दो शब्दों का हमेशा स्वागत होगा, जिस प्रकार स्वर्गदूतों की मुस्कान का होता है। भीड़ की भीड़ लोग गरीबी से संघर्ष है। मजबूर हैं कम पैसों में अधिक मजदूरी करने के लिये ताकि कम से कम अपनी जीविका चला सकें। बड़ी मेहनत और उनके कमियों के साथ, अच्छी वस्तुओं को पाने की कोई आशा ही नहीं होती, ये सब चिंतायें उनके बोझ को भारी बना देती है। जब दख और बिमारी जड जाते है तब भार तो पूरी तरह बोझिला हो जाता है कि उठाना संभव नहीं होता। चिंताओं से और बोझ से दबे लोग ये नहीं जानते कि सहायता के लिये कहाँ जाये। ऐसी परिस्थिति में जब वे परीक्षाओं में पड़े हुये, दुःखी और निराशा से भरे होते है, तब उनके प्रति सहानुभूति दिखाओं। और तब तुम्हारे लिये द्वार खुलेंगे। ताकि तुम उनकी मदद कर सको। उन्हें प्रभु के वायदे के बारे में बताओं उनके साथ उनके लिये प्रार्थना करों और उन्हें प्रभु में भरोसा रखने की आशा से प्रेरित करों। (द मिनिस्ट्रि ऑफ हीलिंग 158)ChsHin 259.2

    ऐसे कई लोग है। जिनके लिये जीवन एक कष्ट दायक संघर्ष है |वेअपनी कमियाँ महसूस करते है।उनकी स्थिति बड़ी खराब है और अविश्वनीय है। उनका विचार है कि हमारे पास ऐसा क्या है? जिसकेलिये हम प्रभु के आभारी ही। दया व प्रेम भरे शब्द, सहानुभूति दर्शाना, प्रशंसा करना उनकेलिये जो अकेले ही जीवन के संघर्ष को झेल रहे है किसी प्यासे को एक प्याला ठण्डा पानी देने जैसे होगा। उन थके व बोझ से दबे कांध गो के लिये सहानुभूति के शब्द और दयालुता काकाम उनके उस बोझ को उठायेगा और हर एक निस्वार्थ शब्द व काम और दया उन खोई हई आत्माओं के लिये प्रभु यीशु के प्रेम की छाप है।ChsHin 259.3

    (थॉट्स फॉम द माउण्ट आफ ब्लेसिंग 23)ChsHin 260.1

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