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मसीही सेवकाई - Contents
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    संयमी

    क्या परमेश्वर का हर एक बेटा इस बात से कायल होगा कि उसे किस प्रकार खाने-पीने, वस्त्र पहनने, काम करने में संयम रखने के जरूरत है कि वह प्रभु का काम बेहतरीन तरीके से कर सके। जब प्रभु के कार्यकर्ता काम करने के दबाव और चिंता में घिरे रहते हैं, और इस तरह षारीरिक व मानसिक रूप से थक जाते हैं, तब उन्हें काम से हट कर थोड़ी देर आराम कर लेना चाहिए। केवल स्वयं के ही बारे में न सोचकर अपने ही सुख के लिये नहीं बल्कि आगे और अच्छी तरह काम करने के लिये। हमारे आसपास एक और सर्तक और चौकन्ना षत्रु है जो हमारे रास्ते में हमेषा आता है, और जहां हमें थोड़ा सा भी कमजोर पाता है, तुरंत फायदा उठाता है ताकि हमें उसकी परीक्षाओं में डालकर बुराई करने पर मजबूर कर दें। और जब भी हमारा षरीर व मस्तिश्क काम करके थक जाते है तो वह इसका फायदा उठाकर हमारे लिये परीक्षायें लाता है ताकि प्रभु के बेटे और बेटी परीक्षाओं में पड़कर पाप में गिरें, जो वह चाहता है। अतः परमेश्वर में परिश्रम करने वालों प्रभु की ताकत को संभाल कर रखो और इस्तेमाल करो और जब भी काम से थक जाते, तो आराम करो और फिर से प्रभु यीशु से ताकत प्राप्त करने के लिये प्रार्थना करो। (द रिव्यू एण्ड हैरल्ड- 14 नवम्बर 1893) ChsHin 195.1

    हमारी षारीरिक षक्ति का दुरूपयोग हमारे जीवन को प्रभु की महिमा के लिये उपयोग में लाने के समय को कम कर देती है। साथ ही हमें अयोग्य बना देती है प्रभु का वह काम करने के लिये जो हमें पूरा करने के लिये सौंपा गया है। अपने आपको गलत आदतों का षिकार बनाना, देर रात तक जागना, अनाप-शनाप खाना, जो तुम्हारी ताकत व स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है, इन सब कारणों से हम अपने आपको कमजोर बनाते है । षारीरिक व्यायाम न कर, षरीर व दिमाग को ज्यादा थका कर हम अपनी नाड़ी स्पंदन क्रिया को असंतुलित करते है। जो इस प्रकार अपने जीवन को छोटा करते वे प्रकृति के नियम के विरूद्ध जाकर काम करने के लिये अपने आपको अयोग्य बना लेते है, वे प्रभु के विरूद्ध चोरी करने के अपराधी ठहरते है। और साथ ही अपने अन्य साथियों को भी ठगते हैं। जो अवसर उन्हें दूसरों को आशिशित करने का मिलता है जिसको करने के लिये प्रभु ने तुम्हें इस जगत में भेजा है, उनके खुद के कारण काम कम हुआ है। उन्होंने अपने आपको इतना कमजोर व अयोग्य ठहराया कि एक छोटा सा काम जो कम समय में किया जा सकता था नहीं किया जा सका। प्रभु हमें दोशी ठहराता है जब हमारी स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाली आदतें, हमें जगत की भलाई का काम करने से रोक देती हैं। (क्राइस्ट ऑब्जेक्ट लैसन्स- 346, 347)ChsHin 195.2

    हमारा परमेश्वर हमेशा करूणा करने वाला सांत्वना देने और सभी बातों में न्याययोग्य परमेश्वर है। वह नहीं चाहता हम कोई ऐसा काम करें जिससे हमारे स्वस्थ्य की हानि हो या हमारी सोचने-समझने की षक्ति कम करें। वह कभी नहीं चाहेगा कि हम किसी दबाव में आकर या मस्तिश्क पर जोर देने वाला काम करें जिससे की थक जायें और हमारे नाड़ी स्पंदन पर असर पड़े। परमेश्वर ने हमें सोचने समझने की षक्ति दी है और इसीलिये चाहता है कि हम हर काम सोच समझ कर करें तथा जीवन के नियमों का ध्यान रखते हुये करें जो उसने हमारे अंदर सृजे हैं उनका पालन करते हुये हम कामों को करने के साथ अपने जीवन को भी भलीभांति चला सकते हैChsHin 196.1

    और दोनो को संगठित कर सकते हैं। एक दिन के बाद दूसरा दिन आता है और हर दिन नये-नये काम और जिम्मेदारियाँ लाता है किन्तु कल का काम आज पर भारी नहीं पड़ना चाहिये। वे कार्यकर्ता जो परमेश्वर का काम करते हैं, उन्हें महसूस करना चाहिये कि यह काम कितना पवित्र है और उन्हें इसी के लिये अपने आप को तैयार करना चाहिये कि कल किये जाने वाले काम के साथ पूरा इंसाफ हो, उसे उतनी ही पवित्रता और ईमानदारी से परी सामर्थ से किया जा सके। (द रिव्य एण्ड द हैरल्ड- 07 नवम्बर 1893)ChsHin 196.2

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