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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    ताड़ना को कैसे स्वीकार करें.

    जिन लोगों को परमेश्वर की आत्मा द्वारा ताड़ना दी जाती है उन्हें उस नम्र पात्र के विरुद्ध नहीं उठ खड़ा होना चाहिए.परमेश्वर ही है, न कि गलती का पुतला नाशमान मनुष्य,जिसने उसे विनाश से बचने का संदेश दिया है. मानव प्रकृति के अनुकूल नहीं हैं ताड़ना को अड़कार करना,न ही संभव है.कि मनुष्य का हृदय जो परमेश्वर की आत्मा से प्रकाशमान नहीं है ताड़ना की जरुरत को अथवा उस आशीष को जो वह देने को है महसूस करें. जब मनुष्य प्रलोभन की और गिर जाता है और पाप में लिप्त होता है तो उसका मन अंधकारमय हो जाता है.नतिक ज्ञान भ्रष्ट हो जाता है.अत:करण की चेतावनियों को तुच्छ समझा जाता है तत्पश्चात उसकी आवाज स्पष्टता से नहीं सुनाई पड़ती है वह शनैःशनै:भलाई और बुराई को पहचानने की शक्ति को यहाँ तक खो बैठता है कि उसको परमेश्वर के सामने अपनी स्थिति का कोई बोध नहीं रहता.वह भले ही धार्मिक विधियों का पालन करता हो और उत्साहपूर्वक उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करता हो परन्तु उसकी शक्ति से रहित है. उसकी दशा वैसी है जैसी सच्ची साक्षी द्वारा वर्णन की गई है; “तू जो कहता है कि मैं धनी हूँ और धनवान हुआ हूँ और मुझे किसी वस्तु का प्रयोजन नहीं हैं और नहीं जानता कि तू ही दीन-हीन और अभागा है और कंगाल, अंधा और नंगा है.’‘ जब परमेश्वर का आत्मा ताड़ना के संदेश द्वारा उसकी ऐसी दशा की घोषणा करता है तो उसको यह नहीं सूझता कि संदेश यथार्थ है कि नहीं.क्या वह चेतावनी को ठुकरा देवे? नहीं.ककेप 146.5

    परमेश्वर ने प्रर्याप्त प्रमाण दिये है ताकि जिसका जी जाहे वे साक्षियों की प्रकृति के विषय में अपने को संतुष्ट कर लें और उनका परमेश्वर की और से होना स्वीकार करके उनका कर्तव्य हो जाता है कि उसकी झिड़कियां को भी ग्रहण करे यद्यपि वे स्वयं अपनी कार्यवाही की दुष्ट कृतियों को नहीं देख पाते.यदि वे अपनी हालत को पूरी तौर से महसूस करते तो ताड़ना ही की क्या आवश्यकता पड़ती? क्योंकि वे जानते नहीं इसलिये परमेश्वर दया दृष्टि से उनके सामने रखता ताकि वे अधिक देर हो जाने से पहिले पश्चाताप करें और सुधर जाएं. जो लोग चेतावनी को तुच्छ समझते हैं वे आत्म: धोके के अंधकार में छोड़ दिये जाएंगे,परन्तु जो उस पर ध्यान देते और उत्साहपूर्वक पापों को अपने से दूर करते ताकि आवश्यकीय अनुग्रह प्राप्त करते वे अपने हृदय के कपट को खोल देंगे कि प्यारा त्राणकर्ता आकर उनके संग वास करे. जो परमेश्वर के संग घनिष्ट संबंध रखते हैं वे उसकी आवाज को पहचानते हैं. जो आत्मिक हैं वे आत्मिक बातों को समझते है. ऐसे लोग धन्यावाद व्यक्त करेंगे कि परमेश्वर ने उनकी गलतियों को बदला दिया है.ककेप 147.1

    दाऊद ने उसके संग परमेश्वर के व्यवहार से बुद्धि प्राप्त करके और परमप्रधान की ताड़ना के आगे नम्रता से सिर नवाया.नातान नबी द्वारा खींचे गये इसकी वास्तविक दशा के सच्चे चित्र ने दाऊद को उसके पापों से सूचित करवाया और उनको दूर करने में उसकी सहायता की.दाऊद ने नम्रता के साथ परामर्श को स्वीकार किया और अपने को परमेश्वर के सामने दीन बनाया. उसने कहा ‘’यहावा की व्यवस्था खरी है प्राण को बहाल कर देती है.’‘ (भजन सँहिता 19:7) ककेप 147.2

    “परन्तु यदि ताड़ना जिसके भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे.’’(इब्रानियों 12:8) हमारे प्रभु ने कहा है, मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूँ उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूँ इस लिए सरगर्म हो, और मन फिरा. (प्रकाशितवाक्य 3:19) और वर्तमान में हर प्रकार को ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है तौभी जो उसको सहतेसहते पक्के हो गए हैं पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है.(इब्रानियो 12:11) यद्यपि अनुशासन कडुवा लगे तौभी,वह पिता के कोमल प्रेम द्वारा नियुक्त किया गया ताकि हम उसको पवित्रता के भागी हों.’‘ककेप 147.3