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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    वैव्यक्तिक भक्ति का महत्व

    आज जब गुप्त प्रार्थना तथा धर्मशास्त्र के पढ़ने की अवहेलना की जायगी तो कल विवेक की कम उलाहना के साथ उनको छोड़ दिया जा सकता है.और छूट की सूची काफी बड़ी होगी. यह सब इस लिये कि हृदय की भूमि में केवल एक ही दाना अनाज का बोया गया था. दूसरी ओर, प्रत्येक प्रकाश की किरण जिसका पोषण किया गया प्रकाश हो की फसल पैदा करेगा.यह प्रलोभन का एक बार मुकाबला किया जाय तो दूसरी बार और दृढ़ता से प्रतिरोध करने की शक्ति मिलेगी.अपने ऊपर हर नई विजय प्राप्त द्वारा उच्च तथा उत्तम विजयों के लिये मार्ग सहज हो जाता है.हर एक विजय उस बीज की भांति है जो अनन्त जीवन के लिये बोया गया.ककेप 350.7

    हर एक धर्मीजन जो परमेश्वर के पास सच्चे मन से आकर अपनी विनतियों को विश्वास के साथ पेश करता है अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर प्राप्त करेगा.यदि आप अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर तुरन्त नहीं पाते या महसूस करते तो परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर से अपना विश्वास न हटाइये.परमेश्वर पर भरोसा रखने से न डरिये,उसकी इस दृढ़ प्रतिज्ञा पर भरोसा रखिये:’मांगो तो पाओगे.’’(यूहन्ना16:24) ककेप 351.1

    परमेश्वर इतना बुद्धिमान है कि गलती कर हो नहीं सकता और इतना दयालु है कि अपने संतों से जो खराई व सिधाई से चलते है कोई उत्तम वस्तु नहीं रोकता.मनुष्य गलती का पुतला है और यद्यपि उसकी प्रार्थनाएं सच्चे हृदय से पेश की जाती हैं तोभी वह हमेशा ऐसी वस्तुएं नहीं मांगता जो उसके लिये भली हैं अथवा जिनसे परमेश्वर की महिमा होती है.जब हालत ऐसी है तो हमारा सर्वज्ञ और दयालु पिता हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है और उत्तर देता है, कभी कभी तुरन्त; परन्तु वह हमको वही वस्तु देगा जो हमारी भलाई और उसकी महिमा के वास्ते हैं.परमेश्वर हमें आशीषं देता है;यदि हम उसके इंतजाम को देख सकें तो हम स्पष्टता से देखेंगे कि वह जानता है कि हमारे लिये क्या क्या भला है और यह भी देख लेंगे कि हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे दिया गया है.कोई हानिकारक वस्तु नहीं दी जायगी परन्तु वही आशीष जिसकी हमको आवश्यकता है उस वस्तु के स्थान में दी जायगी जो हमने मांगी थी पर हमारी लिये उपयुक्त नहीं परन्तु हानिकारक थी.ककेप 351.2

    मैंने देखा कि यदि हम अपनी प्रार्थनाओं का उत्तर तुरन्त महसूस नहीं करते तो कम से कम अपने विश्वास को थामे रहें और संदेह को जगह न दें अन्यथा हम परमेश्वर से दूर हो जायंगे.यदि हमारा विश्वास डगमगाता है तो हम उससे कुछ प्राप्त नहीं करेंगे.हमारा भरोसा परमेश्वर पर दृढ़ होना चाहिये और जब हमें आशीष की बड़ी आवश्यकता होती है तो उसी समय वह हमारे ऊपर बौछार की तरह गिरेगी.ककेप 351.3