Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First

    बुद्धि और आत्मा पर उसका प्रभाव

    माँसाहार की नैतिक खराबियाँ शारीरिक खराबियों से कुछ कम प्रत्यक्ष नहीं हैं.मांसाहार स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक है और जो वस्तु देह पर प्रभाव डालती है उसका मन तथा आत्मा पर भी असर पड़ताककेप 288.5

    मांसाहार स्वभाव को बदल देता तथा पाशविकता को बलवंत करता है.हम उसी वस्तु से बनते हैं जिसे हम खाते है और अत्यधिक मांस खाने से मानसिक शक्ति का ह्रास होता है.विद्यार्थीगत अपनी पढ़ाई में बड़ी सफलता प्राप्त करेंगे यदि वे मांस को कतई न चखें.मांस खाने से जब मानव का पाशविक भाग बलवन्त हो जाता है तो मानसिक शक्तियों समान राशि में घट जाती हैं.ककेप 288.6

    मनुष्य के आहार का बहुत साधारण होने का यदि कभी कोई समय था वह अब है.हमारे बालकों के सामने मांस नहीं परोसना चाहिये.उसके प्रभाव से कामेच्छा बलवान व उत्तेजित होती और नैतिक शक्तियां निर्जीव हो जाती है.ककेप 288.7

    जो लोग मसीह के शीघ्रागमन की बाट जोहने का दावा करते हैं उनमें बड़े-बड़े धर्म सुधारों की आशा करनी चाहिये.स्वास्थ्य सुधार के द्वारा हमारे लोगों के बीच वह काम होना चाहिये जो अभी तक नहीं किया गया है.कुछ लोग हैं जिन्हें मांस खाने के खतरों की तर्फ से जागना चाहिये, जो अब तक मांस खाने से अपनी शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं.मांस खाने के प्रसंग में बहुत से लोगों के हृदय की आधी ही तबदीली हुई है. वे परमेश्वर के लोगों में से निकलकर फिर उनके संग-संग नहीं चलेंगे.ककेप 289.1

    जो सत्य पर विश्वास करने का दावा करते हैं उन्हें शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों की सावधानी के साथ रक्षा करनी चाहिये ताकि परमेश्वर और उसके कार्य का किसी रीति से उनके वचन व कर्म द्वारा निरादर न हो.सारी आदतों तथा रीति-रिवाजों को परमेश्वर की इच्छा के अधीन लाना चाहिये.हमें अपने आहार पर सावधानी के साथ ध्यान देना चाहिये.मुझे स्पष्टता से बतलाया गया कि परमेश्वर के लोगों को मांस खाने के प्रति दृढ़ कदम उठाना चाहिये.क्या परमेश्वर अपने लोगों को तीस वर्ष तक यह संदेश देवे कि यदि वे चाहें कि उनका रक्त शुद्ध और मास्तिष्क स्वच्छ हो तो उनको मांस खाना छोड़ देना चाहिये और यह न चाहे कि वे इस संदेह पर ध्यान देवें? मांसाहार के प्रयोग से पाशविक प्रकृति बलवान और आध्यात्मिक प्रकृति निर्बल हो जाती है.ककेप 289.2