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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    धर्मशास्त्र का परिश्रम के साथ व नियमित अध्ययन

    माता-पिताओ यदि आप अपने बालकों को परमेश्वर की सेवा करने और संसार में भलाई करने के लिये शिक्षित करें तो बाइबल को अपनी पाठ्य पुस्तक बनाइये.वह शैतान के छलों का भंडाफोड़ करती है.वह जाति का उत्थान करने वाली है.नैतिक अवगुणों की ताड़ना करने वाली तथा सुधारक है:गुप्त बातों का पता लगाने वाली है जिसके द्वारा हम खरे और खोटे में भेद बतला सकते हैं.जो कुछ भी घर में या स्कूल में पढ़ाया जाय बाइबल को शिक्षक के रुप में प्रथम स्थान देना चाहिए.जब उसको यह सम्मान दिया जाता है तो परमेश्वर का आदर होता है.तभी वह आप के बालकों में मन परिर्वतन का कार्य करेगा.इस पवित्र पुस्तक में सत्य और सौन्दर्य की बहुमूल्य खान है यदि माता-पिता उसको अपने बालकों के लिए अत्यंत मनोहर नहीं बनाते तो उनका दोष है.ककेप 149.3

    जब परीक्षा करने वाला अपनी धोखे बाजियों को लेकर आया तो एक मात्र शास्त्र जो मसीह ने प्रयोग किया यह था’ लिखा है.’‘ बाइबल के सत्य को सिखाना बड़ा गौरवमय कार्य है जिसको प्रत्येक माता-पिता को करना चाहिए.हर्ष के साथ परमेश्वर के सत्य को बालकों के सामने रखिए.माता-पिता के नाते में आप अपने बालकों के लिए दैनिक जीवन में धौरज,दया और प्रेम को व्यवहार में और लाते हुए वस्तु पाठ बन सकते हैं.उनको उनकी इच्छानुसार करने दीजिए परन्तु उनको दिखलायें कि आप का काम परमेश्वर के वचन को व्यवहार में लाने का है और परमेश्वर की शिक्षा और चितावनी देते हुए उनको पालन पोषण कीजिए.ककेप 149.4

    अपने परिवार में धर्मशास्त्र के अध्ययन का नियम डालिए.कोई भी काम जो सांसारिक प्रकृति का हो उसको टाल दीजिए परन्तु निश्चत कर लें कि आत्मा जीवन की रोटी से तृत हो चुकी है. परमेश्वर के वचन को खुशी से सामाजिक रुप में एक आध घंटा अध्ययन के अच्छे परिणामों का मूल्यांकन करना असम्भव है.बाइबल ही को उसकी व्याखा करने दीजिए और किसी दिये हुये विषय पर विभिन्न समयों और विभिन्न हालतों में जो कुछ कहा गया है उस सबको एकत्र कीजिए.यदि वे अध्ययन के समय अंदर आयें तो उनको भी भाग लेने को आमंत्रण दीजिए. यह बात प्रत्यक्ष हो जानी चाहिए कि आप परमेश्वर के वचन के ज्ञान प्राप्ति को अधिक महत्व देते हैं बजाय सांसारिक लाभ व आनंद प्राप्त करने के.ककेप 149.5

    यदि हम बाइबल का अध्ययन प्रतिदिन चित्ताकर्षक रुप में तथा प्रार्थना के साथ करें तो हम कोई सुन्दर सत्य एक नये स्पष्ट जोरदार प्रकाश में देखेंगे.ककेप 149.6

    यदि आप अपने बालकों को परमेश्वर के शिक्षण और उपदेश देकर भरण पोषण करना चाहते हैं तो बाइबल को अपना पथ दर्शक बनाइए. मसीह का जीवन और चरित्र उनके सामने नमूने के रुप में रखा जाय जिसकी वे नकल करे,यदि वे गलती करें तो उनके सामने परमेश्वर के उस वचन को पढ़िये जो उसी प्रकार के पापों के सम्बंध में हो.इस कार्य में निरंतर सावधानी और परिश्रम की आवश्यकता है.यदि माता-पिता एक भी बुरी आदत का सहन करे और शिक्षक उसका सुधार न करे तो बालक का सारा चरित्र कुरुप और असंतुलित हो जायगा.बालकों को सिखलाएं कि नये दिल का होना और नई रुचि की उत्पत्ति तथा नए विचारों का प्रेरित होना जरुरी हैं, उनको मसीह से सहायता प्राप्त करनी चाहिए;उनको परमेश्वर के वचन में वचन में प्रकट किये गये उसके चरित्र से परिचित होना चाहिए.ककेप 150.1