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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 5 - परमेश्वर के पास आप के लिए काम है

    परमेश्वर का काम इस पृथ्वी पर कभी समाप्त नहीं हो सकता जब तक कि हमारी कलीसियाओं के सदस्य पुरुष व स्त्रियाँ एकत्र होकर अपनी कोशिशों को अध्यक्षों तथा कलीसिया के अफसरों के साथ मिला कर कार्य न करें.ककेप 55.1

    ये वचन कि’‘ तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो, ‘’(मरकुस 16:15)मसीह के प्रत्येक शिष्य के लिए हैं. जितने मसीह के जीवन के लिए मुकर्रर हुए हैं वे सब अपने भाई के त्राण के लिए मुकर्रर हैं. खोए हुओं को बचाने के लिए जो इच्छा उसने प्रगट की वही उनमें भी प्रत्यक्ष होनी चाहिए.सब एक ही स्थान की पूर्ति नहीं कर सकते हैं परन्तु सब के लिए उसके पास एक स्थान और एक काम है. जिनको परमेश्वर की आशीषं मिली है उनको यथार्थ सेवा द्वारा प्रत्युत्तर देना चाहिए;प्रत्येक वरदान का उसके राज्य के फैलाने में उपयोग होना चाहिए.ककेप 55.2

    आत्माओं के त्राण के लिए उपदेश देने का काम उस कार्य का एक छोटा सा भाग है.परमेश्वर का आत्मा पापियों को सत्य के प्रति दोषी ठहराता है और वह उन्हें मण्डली के हाथ में सौंप देता है. मण्डली के अध्यक्ष अपना कर्तव्य अवश्य करेंगे परन्तु वे उस कार्य को कदापि नहीं कर सकते जिस मण्डली को करना चाहिए. परमेश्वर इस बात की मांग करता है कि उसकी मण्डली उसकी मण्डली उनको, जो विश्वास व अनुभव में कच्चे हैं, सेवा टहल करें, उनके पास जायं गप्पें मारने को नहीं किन्तु प्रार्थना करने, उनसे ऐसे शब्द कहे ‘’जैसे चाँदी की टोकरियों में सुनहर सेब हो.’‘ककेप 55.3

    इस समय भी परमेश्वर ने अपनी कलीसिया को बुलाया है जिस प्रकार उसने प्राचीन इस्राएल को बुलाया था कि पृथ्वी पर ज्योति के स्वरुप हो पहले, दूसरे तथा तीसरे दूत के सन्देशों के सत्य की कुल्हाड़ी द्वारा उसने उनको अन्य कलीसियाओं तथा संसार से अपनी पवित्र संगति में जाने को पृथक किया है. उसने उनको अपनी व्यवस्था का धरोहारिया बनाया है, और इस समय के लिए भविष्यवाणी के महान सत्यों को उनके सिपुर्द किया है. प्राचीन इस्राएल को सौंपी गई पवित्र व्यवस्थाओं की भांति ये भी पवित्र धरोहर हैं जो जगत को पहुँचाती हैं. ककेप 55.4

    प्रकाशितवाक्य के 14 वें अध्याय के तीन दूत इन लोगों का प्रतिरुप हैं जो परमेश्वर के सन्देशों की ज्योति को ग्रहण करते हैं और गुमाश्तों की तरह पृथ्वी के कोने-कोने में चितावनी का पैगाम देने जाते है.मसीह अपने शिष्यों को घोषित करता है,’’तुम जगत की ज्योति हो.’’(मत्ती 5:14) प्रत्येक मनुष्य से जो मसीह को ग्रहण करता है कलवरी की क्रूस यह कहती है, ‘’देखों आत्मा की क्या कीमत है; तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रकार करो.’‘ (मरकुस 16:15) कोई ऐसा काम न किया जाए जिससे इसमें बाधा पहुंचे. सब कालों के लिए यह सर्व प्रधान कार्य जिसका प्रभाव अन्त काल तक पहुंचता है. आत्माओं के त्राण के लिए मसीह ने अपने बलिदान द्वारा जो प्यार दिखलाया वह उसके अनुयायियों में भी प्रकट होना चाहिए.ककेप 55.5

    मसीह प्रत्येक प्राणी को जो अपने आप को उसके लिए समर्पण कर देता है खुशी से ग्रहण करता है. वह मनुष्य को परमेश्वर के मेलमिलाप में लाता है ताकि वह संसार को अवतरित प्रेम के रहस्य तक पहुंचा सके. उस प्रेम की चर्चा करो, उसके विषय में प्रार्थना करो, उसके गीत गाओ और दूरवर्ती मुमालिक की ओर बढ़ते चले जाओ और दो सुदूर देशों में आगे बढ़ते जाओ और संसार को सच्चाई के सन्देश से भरपूर कर दो.ककेप 56.1