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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    परमेश्वर दानों का मूल्य प्रेम-उत्तेजित त्याग के अनुसार लगता है

    मंदिर की तराजू में कंगाल के प्रेम-प्रेरित दान का मूल्यांकन दी गई रकम के अनुसार नहीं लगाया जाता परन्तु प्रेम-प्रेरित भेंट के अनुसार होता है.उदार हृदय कंगाल मनुष्य जिसके पास देने को थोड़ा है परन्तु उस थोड़े को खुशी से देता है.यीशु की प्रतिज्ञाओं से उसी प्रकार लाभ उठा सकता है जिस प्रकार धनवान पुरुष उठा सकता है जो अपनी बहुतायत में से देता है.कंगाल मनुष्य अपनी घटी में से त्याग करता है जिसकी वह सचमुच महसूस करता है.यह तो सचमुच में अपनी आवश्यकीय सुखद चीजों का इन्कार करके न अपनी किसी भी आवश्यकीय वस्तु का इन्कार करता है. इस लिये गरीब के दान में वह पवित्रता पाई जाती है जो धनवान के दान में नहीं पाई जाती क्योंकि धनवान तो अपनी बहुतायत में से देता है. परमेश्वर ने दूरदर्शिता से सुव्यवस्थित दानशीलता की समस्त योजना मनुष्य की भलाई के लिये रची है. उसकी दूरदर्शिता खामोश खड़ी नहीं रहती. यदि परमेश्वर के दास उसकी प्रारम्भिक दूरदर्शिता का अनुकरण करें तो सबके सब सक्रिय कर्मचारी बनेंगे.ककेप 77.4

    छोटे बालकों के दान परमेश्वर को स्वीकार तथा पसन्द हो सकते हैं. भावना के अनुसार जो दान को प्रेरित करती है मूल्य आंका जाता है. प्रेरित के नियम का अनुकरण करने और प्रति सप्ताह कुछ रकम छोड़ने द्वारा गरीब लोग खजाने की वृद्धि में सहायक होते हैं और उनके दान पूर्णतया परमेश्वर को स्वीकृत होते हैं क्योंकि वे उतना हो बड़ा बलिदान बल्कि उससे भी बड़ा बलिदान करते हैं जो उनके धनवान बन्धु करते हैं. नियमानुसार दानशीलता की योजना प्रत्येक परिवार के लिये इस रुपये को किसी अनावश्यक कार्य में व्यय करने के प्रभोलन में पड़ जाने के प्रति एक सुरक्षा सिद्ध होगी, विशेषकर धनवानों को फजूलखर्ची से बचाने में एक वरदान प्रमाणित होगी.ककेप 77.5

    सम्पूर्ण ह्दय की उदारता के प्रतिफल द्वारा ही मन और हृदय का पवित्र आत्मा की निकटता में नेतृत्व होती हे.ककेप 78.1

    परमेश्वर के कार्य के लिए दान देने के विषय में पौलुस एक नियम नियुक्त करता है और बतलाता है कि उसका हमारे प्रति और परमेश्वर के प्रति क्या परिणाम होगा. “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसे ही दान करें; न कुढ़कुढ़ के और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है.” * परन्तु बात तो यह है कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी;और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा.’’’और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में हर समय सब कुछ जो तुम्हें आवश्यक हो तुम्हारे पास रहे और हर एक भले काम के लिए तुम्हारे पास बहुत हो (जैसे लिखा है, उसने बिथराया उसने कंगालों को दान, उसका धर्म सदा बना रहेगा)---कि तुम हर बात में सब प्रकार को उदारता के लिए जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ.’‘ (2कुरिंथि 9:6-11)ककेप 78.2