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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 43 - वस्त्रों के विषय में सलाह

    वस्त्रों में, जैसा सब चीजों में भी यह हमारा सौभाग्य है कि अपने सृजनहार को आदर दें.वह हमारे वस्त्रों को न केवल स्वच्छ और स्वस्थकर चाहता है किन्तु उचित और समयानुकूल भी.ककेप 238.1

    हम सदैव अपनी शक्ल को अच्छा बनाने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए. तम्बू की सेना के लिए,ईश्वर के उनके वस्त्रों की प्रत्येक चीज विस्तार पूर्वक समझा दी थी जो उसके सामने सेवा करेंगे. इस प्रकार हमें सिखाया कि वह जो उसकी सेवा करते हैं उनके वस्त्रों को प्राथमिकता देता है.हारून के कपड़ों के विषय पर हर बात समझाई गई क्योंकि उसका एक विशेष अर्थ था. प्रत्येक चीज में हमें उसके प्रतिनिधि होना है.हमारी बनावट हर तरह से सुन्दर, स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए.ककेप 238.2

    प्रकृति की सुन्दर वस्तुओं से (फूल और लिलि)मसीह,ईश्वर की सौंदर्यता का अंकन के विषय में बताता है: कृपा, सादगी और पवित्रता ये हमारे पहिराव को सुन्दर बनाता है जो उसे ग्रहणायोग्य हो.ककेप 238.3