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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 64 - मसीह-हमारा महायाजक

    स्वर्गीय मंदिर के सेवा कार्य के सम्बंध में सही सही ज्ञान ही हमारे विश्वास की बुनियाद है.ककेप 353.1

    पार्थिव मंदिर का निर्माण मूसा ने उस आदर्श के अनुसार किया था जो उसको पर्वत पर दिखलाया गया था.’’यह तो वर्तमान समय के लिये दृष्टान्त है जिसमें चढ़ावे और बलिदान चढ़ाये जाते हैं;’’उसके दो पवित्रस्थान ‘‘स्वर्ग की वस्तुओं के प्रतिरुप ‘’थे;मसीह हमारा प्रधानयाजक “पवित्रस्थान का और उस सच्चे तम्बू का सेवक हुआ जिसे किसी मनुष्य ने नहीं परन्तु परमेश्वर ने खड़ा किया.’’जब एक दर्शन में यूहन्ना प्रेरित को स्वग्र में के मंदिर की एक झलक दिखाई गई थी उस समय उसने ‘‘सात अग्नि दीपक सिंहासन के आगे जलते’’देखे.ककेप 353.2

    नबी को स्वर्ग के मंदिर के प्रथम कमरे को देखने की आज्ञा मिली और उसने वहां‘अग्नि के सात दीपक’’और ‘’सोने की वेदी ‘’जिसको पृथ्वी पर के मंदिर में के सोने के दीवट और धूपदानी से प्रगट किया जा रहा था, देखे.फिर ‘ईश्वर का मंदिर खोला गया और उसने पर्दे के अन्दर महान स्थान को देखा.यहां उसने ‘’नियम का सिन्दूक’’देख जिसको मूसा द्वारा निर्माण हुये पवित्र सन्दूक से प्रगट किया गया कि उसमें परमेश्वर की व्यवस्था रखी जाये !ककेप 353.3

    युहन्ना कहता है कि उसने मन्दिर को स्वर्ग में देखा.वह मंदिर जिसमें यीशु हमारे लिये काम करता है असली है जिसका मूसा द्वारा निर्माण किया गयाककेप 353.4

    स्वर्गीय मंदिर राजाओं के राजा के निवास स्थान का, जहां हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे हैं और लाखों लाख लोग उसके सामने हाजिर हैं;वह मंदिर जो अनन्त सिहांसन की महिमा से भरा है जहां उसके चमकीले पहरेदार साराप दृत उसकी भक्ति में अपने मुंह को ढापे रहते हैं,कोई जागतिक भवन उसके विस्तार व महिमा को प्रगट नहीं कर सकता.तौभी स्वर्गीय मंदिर और मानव के त्राण के प्रति जो महान कार्य वहां जारी है उनके विषय में महत्वपूर्ण सत्यों को पृथ्वी पर के मंदिर और उसके सेवाकार्य द्वारा सिखलाना जरु री था.’‘ककेप 353.5

    स्वर्गारोहण के बाद हमारे त्राणकर्ता को महायाजक का काम शुरु करना था.पौलुस कहता है, खीष्ट ने हाथ के बनाये हुये पवित्रस्थान में जो सच्चे का दृष्टान्त है प्रवेश नहीं किया परन्तु स्वर्ग ही में प्रवेश किया कि हमारे लिये अब ईश्वर के सन्मुख दिखाई देवे.’’मसीह की सेवकाई में दो बड़े भाग सम्मिलिखित थे और प्रत्येक विशेष समय तक के लिये था और स्वर्गीय मंदिर मंदिर में एक विशेष स्थान रखता और प्रत्येक विशेष समय तक के उपासना के दो भाग थे, दैनिक और वार्षिक उपासना और प्रत्येक को तम्बू का एक विभाग अर्पित था.ककेप 353.6

    जिस प्रकार मसीह अपने स्वर्ग आरोहण पर आरोहण पर परमेश्वर के सम्मुख हाजिर था कि पश्चातापी विश्वासी के संती अपनी लोहू पेश करे उसी प्रकार पवित्रस्थान में याजक पापी के लिए दैनिक सेवाकाई में बलिदान और का रक्त छिड़का करता था.ककेप 354.1

    मसीह का लोहु यद्यपि पश्चाताप करने वाले पापी को व्यवस्था के दंड से छुटकारा दे सकता था तोभी वह पाप को मिटाया;उसका रेकार्ड तो मंदिर में अंतिम प्रायश्चित के दिन तक रखा रहता ;उसी प्रकार प्रतिरुप में भी पाप बलि का लोहु पश्चात करने वाले के पाप तो मिटा डालता था पर वह मंदिर में प्रायश्चित के दिन तक बना रहता था.ककेप 354.2

    अंतिम प्रतिफल के महान दिवस में जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था.उनके कामों के अनुसार मुरदों को न्याय किया जायगा.तब मसीह के प्रायश्चित के लोह के सब्बत वास्तविक पश्चातापी लोगों के पाप स्वर्ग की पुस्तकों से मिटाये जायंगी.इस प्रकार मंदिर पाप के समस्त रेकार्ड से स्वतंत्र अथवा शुद्ध किया जायगा .प्रायश्चित अथवा पापों के मिटाये जाने के कार्य का प्रतिरुप में प्रायश्चित के दिन की उपासनाओं से प्रतिनिधित्व किया जाता था...प्रायश्चित अर्थात पार्थिव मंदिर की शुद्धि,पापबलि के लोहु के द्वारा उन पापों को धोने से की जाती थी जिनसे वह (मंन्दिर) अशुद्ध हो गया था.ककेप 354.3

    शैतान हमारे मस्तिष्कों को व्यस्त रखने के लिये अनगिनती युक्तियों का आविष्कार करता है जिससे वे उस काम में ध्यान न दें जिससे हमें भली भांति परिचित होना चाहिये.सरदार धोखेबाज उन विशाल सत्यों से घृणा करता है जिन से प्रायश्चित की बलि और शक्तिमान मध्यस्थ का ख्याल दृष्टि में आता है.वह जानता है कि यीशु और उसके सत्यों से लोगों के ख्यालों को हटाने पर ही उसका सारा काम अवलम्बित है.ककेप 354.4

    यीशु उनके पक्ष में अपने घायल हाथों को, अपने कुचले देह को पेश करता है;और,अपने अनुयायियों से घोषणा करता है, ‘मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है.” “मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो ; और मुझ से सीखो;क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ;और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे.क्योंकि मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हलका है.फिर तो किसी को भी अपने दोषों को असाध्य नहीं समझना चाहिये.परमेश्वर उनको पराजय करने के लिये विश्वास और अनुग्रह प्रदान करेगा.’ककेप 354.5

    हम इस समय प्रायश्चित के महान दिवस में रहते हैं.प्रतिरुप उपासना में जब प्रधानयाजक इस्राएलियों के लिये प्रायश्चित कर रहा था तो सभों से यह कहा जाता था कि अपनी आत्माओं को पापों से पश्चाताप करने और परमेश्वर के सन्मुख दीनता धारण करने द्वारा दु:ख दें कहीं ऐसा न हो कि वे लोगों में से अलग कर दिये जायं.इसी प्रकार जो अपना नाम जीवन की पुस्तक में रखवाना चाहते हैं वे अपने अनुग्रह काल के शेष दिनों में पाप के लिए शोक और सच्चे पश्चाताप द्वारा परमेश्वर के सामने अपनी आत्माओं को दु:ख दें.मनों की सच्ची और पूर्ण रीति से छानबीन होनी चाहिए.बहुत से मसीही लोगों को नीच,हंसी ठट्टे की प्रकृति को अपने से दूर करना चाहिए.जो लोग दुष्ट प्रकृतियों पर जो आत्मा पर आधिपत्य जमाना चाहते हैं जय प्राप्त करना चाहते हैं त्राण सामुहिक रुप में नहीं होगा.एक की पवित्रता तथा भक्ति दूसरे व्यक्ति की त्रुटियों उपस्थित होंगी तो भी वह हर एक जन का मामला ऐसे छानबीन के साथ जांचेगा मानो कि पृथ्वी पर कोई दूसरा व्यक्ति ही नहीं.हर एक की जांच होनी अनिवार्य है और उसको कलंक,झुरी अथवा कोई ऐसे वस्तु से रहित पाया जाना चाहिए.ककेप 354.6

    प्रायश्चित के समाप्त होने के कार्य के साथ गम्भीर दृश्य सम्बन्धित हैं.उसमें महत्वपूर्ण हित निहित हैं.इस समय न्याय का कार्य स्वर्गीय मंदिर में हो रहा है.बहुत वर्षों से यह कार्य जारी है.शीघ्र ही-कोई नहीं जानता कितना शीघ्र-जीवित लोगों के मामले सामने आएंगे.परमेश्वर की भयानक उपस्थिति में हमारे जीवन पुनरावलोकन के लिए पेश होंगे.इस समय सब कुछ छोड़ के प्रत्येक जन के लिए उचित है कि त्राणकर्ता के इस उपदेश पर ध्यान दे,’जागते रहो और प्रार्थना करो क्योंकि तुम नही जानते हो वह समय कब होगा.” ककेप 355.1

    जब जांच के न्याय का काम समाप्त हो जायगा तो सब के भाग्य का निर्णय जीवन अथवा मृत्यु के लिए हो चुकेगा.प्रभु के स्वर्ग के मेघों में आने से थोड़ी देर पूर्व अनुग्रह काल समाप्त हो चुकेगा.प्रकाशित वाक्य की पुस्तक में मसीह इस समय की प्रतीक्षा करते हुये घोषणा करता है: “जो अन्याय करता है वह अन्याय करता रहे और जो मलिन है वह मलिन बना रहे और जो धर्मी है वह धर्मी बना रहे; और जो पवित्र है वह पवित्र बना रहे.देख मैं शीघ्र आने वाला हूँ और हर एक के काम के अनुसार बदला देने के लिए बदला मेरे पास है.” ककेप 355.2

    धर्मी और अधर्मी दोनों अपने नश्वर स्थिति में पृथ्वी पर जीवित रहेंगे-लोग पेड़ लगायेंगे और मकान बनाएंगे,खाते-पीते रहेंगे पर इस बात से अज्ञान रहेंगे कि स्वर्गीय मंदिर में अंतिम अटल निर्णय की घोषणा हो चुकी है. ककेप 355.3

    खामोशी के साथ अर्द्धरात्रि के चोर की नाईं चुपके चुपके वह ऑतिम निर्णय की घड़ी आ जावेगी जो हर एक मनुष्य के भाग्य को स्थिर कर देगी और अपराधी मनुष्य के लिए दया का दरवाजा सदा के लिए बंद कर देगा.ककेप 355.4