Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First

    मंडली की फूट का इलाज

    यरुशलेम में अंताखिया के प्रतिनिधि विभिन्न मंडलियों के भाइयों से मिले जो एक विराट सम्मेलन के लिये उपस्थित हुये थे.इनमें उन्होंने अन्य जातियों के बीच की गई सेवा की सफलता का वर्णन किया था.तद्पश्चात उन्होंने कतिपय फरीसी नवमतावलम्बियों के अंताखिया जाने के कारण हुई.गड़बड़ी का स्पष्ट चित्रण किया जो घोषित करते थे कि सृष्टि प्राप्त करने के लिए अन्यजातियों का खतना कराना जरुरी है और उन्हें मूसा की व्यवस्था का पालन करना अनिवार्य है. इस प्रश्न पर सभा में गरमा गरम बातचीतककेप 107.1

    पवित्र आत्मा ने उचित समझा कि अन्य जातियों से आये हुए मतावलम्बियों पर विधि का दबाव न डाला जाय और प्रेरितों का मत इस प्रसंग में परमेश्वर की आत्मा के मतानुकूल था. याकूब इस सभा का सभापति था और उसका अंतिम निर्णय यह था कि मेरा विचार यह है कि अन्य देशियों में से जो लोग ईश्वर की ओर फिरते हैं हम उन को दु:ख न देवें’ इस बात पर वाद विवाद समाप्त हो गया.ककेप 107.2

    इस अवसर पर ऐसा ज्ञात होता है कि सभा के निर्णय को घोषित करने के लिए याकूब को चुने लिया गया था. अन्य देशियों में से जो लोग ईश्वर की ओर फिर गये थे उन्हें उन प्राथओं को त्यागना था जो मसीह धर्म के सिद्धान्तों के प्रतिकूल थे.अत:प्रेरितों और प्रचीनों ने सहमत होकर अन्य देशियों को आदेश भेजे कि मूरतों की अशुद्ध वस्तुओं से और व्यभिचार से और गला घोटे हुओं के मास से और लोहु से परे रहें.उन पर जोर दिया गया कि वे आज्ञाओं का पालन करें और पवित्र जीवन व्यतीत करें.उनको प्रेरितों द्वारा ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं दिया गया था.ककेप 107.3

    जिस सभा ने इस विषय का निर्णय किया उसमें यहूदियों तथा अन्य देशियों में से हुये मसीही लोगों की मंडलियों को स्थापन करने में प्रमुख प्रेरित और शिक्षक तथा विभिन्न जगहों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे.वहां यरुशलेम के प्राचीन (बजुर्ग) और अंतखिया के अध्यक्ष तथा बड़ी-बड़ी प्रभावशाली मंडलियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे.ककेप 107.4

    सभा ने दिव्य निर्णय के आदेशनुसार और ईश्वरीय इच्छा द्वारा स्थापित मंडली की मर्यादानुसार कार्य किया,उनके सोच विचार के परिणाम स्वरुप सब ने देखा कि परमेश्वर ने स्वयं विचाराधीन प्रश्न का उत्तर इस प्रकार दिया, कि अन्य देशियों को भी पवित्र आत्मा का दान दिया गया;और उन्होंने महसूस किया कि आत्मा के पथप्रदर्शन का पालन करना हो उनका कर्तव्य है.ककेप 107.5

    इस प्रश्न पर समस्त मसीही मंडली के मत नहीं दिये गये प्रेरितों तथा प्राचीनों व प्रभावशाली तथा विवेकी पुरुषों ने आज्ञा दी जिसको साधारण मसीही मंडलियों द्वारा स्वीकार किया गया, जिस पर भी सब के इस निर्णय से प्रसन्न नहीं हुये;कुछ अभिलाषी स्वाभिमानी भाइयों का एक विरोधी दल था जो इस बात पर सहमत न हुये.ये लोग अपनी ही जिम्मेवारी पर कार्यरत है.वे कुड़कुड़ाने और दोषारोपण करने में तत्पर रहे और नयी योजनाओं को प्रस्तावित करते रहे और परमेश्वर के सुसमाचार के संदेश को सिखलाने को नियुक्त किये लोगों के कार्य को नष्ट करने की चेष्टा में रहते रहे.प्रारम्भ हो से मंडली को ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और समय के अंत तक भी ऐसा ही करना पड़ेगा.ककेप 107.6