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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    कुटुम्ब का मुखिया मसीह का अनुकरण करे

    कटुम्ब के समस्त सदस्य पिता में केन्द्रित होते हैं.वह एक नियम बनाने वाला है जो बल,स्थिरता,खरेपन, धीरज,उद्योगीपन,व्यावहारिक उपयोग आदि अपने निज साहसी व्यवहार द्वारा कुटुम्ब के लिए आदर्श होगा.पिता घर का पुरोहित है जो सुबह शाम परमेश्वर की वेदी पर बलिदान चढ़ाता है.पत्नी और बालक को इस बलिदान चढ़ाने और स्तुति के गीत गाने में सम्मिलित होना चाहिए और कुटुम्ब के याजक की भांति वह अपने तथा बच्चों के उन पापों का अंगीकार करे जो उनसे उस दिन में किए हैं.वे पाप जिनको वह जानता हैं व वे जो गुप्त हैं पर जिन्हें परमेश्वर ने देखा है उनका अंगीकार करें.जब पिता घर में उपस्थित है तब इस व्यवहार को लगन के साथ करें उसकी अनुपस्थिति में माता यह कार्य भार अपने ऊपर ले.इससे कुटुम्ब पर बड़ी आशीष होगी.ककेप 203.3

    उस व्यक्ति से जो पति और पति है मैं यह कहूंगी कि आप पवित्रता का ध्यान रखें. पवित्र वातावरण आप के आत्मा के चहुं ओर होवे.प्रति दिन खीष्ट यीशु से सीखें घर में कभी कठोर शासनकर्ता की भांति व्यवहार न करें.ऐसा व्यवहार करने वाला व्यक्ति शैतान का प्रतिनिधि है,अपनी इच्छा परमेश्वर की इच्छा के अधीन कीजिए,अपनी पत्नी के जीवन को आनन्दमय और हर्षित बनाने का भरसक प्रयत्न कीजिए. परमेश्वर के वचन को ऐसा जान कर ग्रहण कीजिए जैसा किसी मनुष्य की व्यक्तिगत सलाह है.कौटुम्बिक जीवन परमेश्वर के वचन को शिक्षानुसार हो.ऐसा करने ही से आप का मंडली में और व्यवसाय सम्बन्धी कार्यों में शास्त्रानुसार उपयोग करेंगे.स्वर्गीय आदर्श आप के लेन-देन को महत्वपूर्ण बनाएंगे.संसार में मसीह को प्रगट करने में स्वर्गीय दूत आप का सहयोग देंगे.ककेप 203.4

    उद्योग धन्धे का कष्ट आप के कौटुम्बिक जीवन को अन्धकारमय न बनाए. जब कई ऐसी छोटी छोटी घटनाएं ऐसी हो जाती हैं जो आप को इच्छानुसार नहीं हैं तो आप अपने धीरज, सहनशीलता,दयालुता और प्रेम का प्रदर्शन नहीं कर पाते.ऐसा कर के आप प्रगट करते हैं कि आप ने उस महान व्यक्ति को अपना सहगामी नहीं बनाया है जिसने आप से प्रेम करके अपना प्राण आप के लिए दिया कि आप उसके साथ एक हो जाएँ.ककेप 203.5

    पति को सदैव कौटुम्बिक आधिपत्य के पद पर आरुढ़ रहना वीरता की साक्षी नहीं है.अपने अधिकार के समर्थन हेतु शास्त्र पदों का उद्धारण करने से सुनने वालों के हृदय में उस की श्रद्धा की कोई वृद्धि नहीं होती.अपनी पत्नी से जो उसके बच्चों को माता भी है यह आशा करना कि वह पति की योजनाओं को अचूक जानकर उन्हें पूर्णत: ग्रहण करें यह भी कोई पुरुषार्थ का कार्य नहीं है.प्रभु ने पति को पत्नी का सिर इस हेतू बनाया है कि वह उसका रक्षक हो.वह तो कुटुम्ब का संघटनकर्ता है.जो कुटुम्ब के प्रत्येक अंग को एक बन्धुपाश में उसी प्रकार रखें जिस प्रकार मसीह मण्डली का सिर होकर को एक बन्धुपाश में उसी प्रकार रखें जिस प्रकार मसीह मण्डली का सिर होकर रहस्यमय देह का उद्धारकर्ता भी है.प्रत्येक पति जो परमेश्वर से प्रेम करता है इस बात का अध्ययन करे कि परमेश्वर उसके इस पद के उत्तरदायित्व ही पूर्ति के लिए क्या आशा करता है.मसीह के अधिकार का प्रयोग बुद्धिमानी,दयालुता एवं नम्रता में किया जावे.अस्तु मण्डली के सिर का अनुकरण करते हुए उसी को सामर्थ में पति अपना अधिकार काम में लावे. ककेप 203.6