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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    मसीह ईमानदारी

    प्रत्येक लेने देन के कार्य में वैट ईमानदार बनिये, चाहे प्रलोभन कितना ही जोर करे मामूली बात में भी कभी धोखेबाजी या छल की बात न कीजिए? हो सकता है कि कभी-कभी प्राकृतिक स्वभाव प्रलोभन में डाल दे कि ईमानदारी के सच्चे मार्ग से पलटना पड़े परन्तु उस समय रत्ती भर भी न हटिये.यदि किसी मामले में आप कोई ऐसी उक्ति करें और बाद में मालूम करें कि उसमें दूसरों का भला हो रहा हैं और अपनी हानि,तो उस समय नियम से रत्ती भी हटिये.अपने वचन व प्रतिज्ञा को पूरा कीजिए.ककेप 153.3

    बाइबल जोरदार शब्दों में हर प्रकार के झूठ,झूठे व्यवहार और बेईमानी की निंदा करती है.उसमें सत्य और असत्य का स्पष्टता से वर्णन किया गया है.परन्तु मुझे दिखलाया गया कि परमेश्वर के लोगों ने अपने को शत्रु की भूमि में खड़ा किया है;उन्होंने उसके प्रलोभनों के सामने अपने को समर्पित कर दिया है और उसकी योजनाओं को यहां तक अनुकरण किया है कि उनकी चेतनता बिल्कुल मंद या कुन्द हो गई है. सत्य से थोड़ा-सा हट जाना, परमेश्वर की मांगों में थोड़ा रद्दी-बदल करना आर्थिक लाभ व हानि के सामने कुछ अधिक अधर्म की बात नहीं समझी जाती, परन्तु पाप तो पाप है चाहे उसे लाखपति करे या मार्ग में का भिखारी.जो झूठे प्रतिनित्व द्वारा धन सम्पति प्राप्त करते हैं वे अपनी आत्मा पर दण्डाज्ञा ला रहे हैं.जो कुछ धोकेबाजी और छल से हासिल किया जायगा वह पाने वाले के लिये श्रापित सिद्ध होगा.ककेप 153.4

    जो झूठ बोलता और छलबाजी करता है वह अपना आत्म सम्मान खो डालता है उसको शायद ज्ञान न हो कि परमेश्वर उसको देख रहा है और प्रत्येक लेन देन से परिचित है और यह भी कि पवित्र स्वर्गदूत उसके नीयत को बोल रहे औरउसकी बातों को सुन रहे हैं, और कि उसका पारितोषिक उसके कामों के  अनुसार होगा परन्तु यदि उसके अनुचित कार्यों को मानव और ईश्वरीय जाँच से छिपाना सम्भव हो सके तो भी यह तथ्य कि वह उसे स्वयं जानता-बूझता है, उसके मन में और चरित्र के लिये अपमानित है एक ही कार्य से चरित्र का अनुभव नहीं लगाया जा सकता पर न उससे रोक तो अवश्य टूट जाती है और दूसरे प्रलोभन का सरलता से स्वागत हो जाता है जब तक कि आखिरकार कारोबर में छलबाजी और बेईमानी की आदत उत्पन्न नहीं हो जाती है आदमी का विश्वास जाता हैं. ककेप 153.5

    परमेश्वर उसकी सेवा में व्यस्त,उसके झंडे के नीचे रहने वाले लोगों को ठेट ईमानदार चाहता है, जो चरित्र में निष्कलंक हों कि उनकी जिव्हा से झूट का लेश मात्र भी न निकले.जिव्हा सच बोले,आँखें सच का प्रदर्शन करें कार्य ऐसे हों जिनकी परमेश्वर प्रशंसा कर सके.हम एक पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति में रहते हैं जो गम्भीरता से घोषित करता है, ‘’मैं तेरे कामों को जानता हूँ. ‘’परमेश्वर की आँख सदैव हम पर लगती है. हम एक भी अन्याय का कार्य परमेश्वर से नहीं छिपा सकते.हमारे प्रत्येक कार्य के प्रति परमेश्वर की साक्षी एक सत्य है जिसे केवल थोड़े से लोग महसूस करते हैं.ककेप 154.1