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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    आत्मा में परमेश्वर का जीवन ही मनुष्य की एक मात्र आशा

    बाइबल का धर्म शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक नहीं है.परमेश्वर की आत्मा का प्रभाव रोग व्याधि के लिये अत्युत्तम औषधि है.स्वर्ग में स्वास्थ्य ही स्वास्थ्य है;और जितनी गम्भीरता के साथ स्वर्गीय प्रभाव का अनुभव किया जायगा उतनी ही निश्चित रुप में विश्वासी रोगी रोगमुक्त होगा.मसीही धर्म के खरे सिद्धान्त सबके सामने अमूल्य सुख का स्त्रोत खोल डालते हैं.धर्म एक सतत चश्मा है जिसमें से मसीही जब जब जी चाहे पी सकता है और चश्मा कभी खाली नहीं होता.ककेप 274.3

    मानसिक स्थिति का शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है.यदि दूसरों को सुखी करने के संतोष और परोपकार करने की भावना द्वारा हमारा मन स्वतंत्र और सुखी है तो इससे ऐसी प्रफुलता उत्पन्न होगी.जिससे सारी देह प्रभावित होगी कि रक्त स्वतंत्रता से भ्रमण करने लगेगा और समस्त देह में स्वस्थता दृष्टिगोचर होगी.परमेश्वर की आशीष एक आरोग्यकर शक्ति है और जो दूसरों को अधिक लाभ पहुंचाते हैं.वे उस अनोखी आशीष को हृदय तथा जीवन में महसूस करेंगे.ककेप 274.4

    जो मनुष्य बुरी आदतों तथा दुष्ट व्यवहारों में फंसे रहते हैं जब वे धार्मिक सत्य की अधीनता स्वीकार करते हैं तो उस सत्य का जीवन में व्यवहार कर देने से जो नैतिक शक्तियां शक्तिहीन प्रतीत होती थी पुर्निहीत हो जाती है.सत्य को ग्रहण करने वाले की कुटी अब जब से उसने अपनी आत्मा को अनंत लहान से जकड़ दिया है तीव्र और स्पष्ट हो जाता है. जब वह मसीह में अपनी सुरक्षा का अनुभव करता है तब उसको शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधर जाता है. ककेप 274.5

    मानव को सीखना चाहिये कि आज्ञा पालन कीआशीषों का आनंद उनको प्राप्त हो सकता है यदि वे मसीह के अनुग्रह को ग्रहण करें.उसके अनुग्रह ही से मनुष्य के नियमों के पालन करने की शक्ति प्राप्त होती है.इसी के द्वारा वह सत्य पथ पर अटल रह सकता है.ककेप 274.6

    जब सुसमाचार पवित्रता व शक्ति के साथ ग्रहण किया जाता है तो यह उन व्याधियों के लिये जिनकी उत्पति पाप में हुई है एक शर्तिया औषधि बन जाती है. “धर्म का सूर्य उदय होगा और उसकी किरणों के द्वारा से चंगे हो जाओगे.’’जो कुछ यह संसार प्रदान करता है उसमें टूटे हुये हृदय को चंगा करने अथवा मन को शांति देने व चिंता व रोग को दूर करने की कोई शक्ति नहीं है.ख्याति, कार्यपटुता ,क्षमता ये सब के सब शोकित हृदय को हर्षित करने अथवा क्षीण जीवन को आयोग्य करने में असमर्थ है.हमारी आत्मा में परमेश्वर की जो जीवन शक्ति है उसी में मनुष्य की एक मात्र आशा हैककेप 275.1

    वह प्रेम जिसे यीशु सारे जीवन में फैलाता है एक प्राण डालने वाली शक्ति है.वह प्रत्येक मर्मभागमस्तिष्क, हृदय,स्नायु को आरोग्यकर शक्ति से स्पर्श करता है.उसके द्वारा जीवन की उच्च शक्तियां सक्रिय होने के लिये उकसाई जाती हैं.उसके द्वारा आत्मा अपराध तथा शोक,फिक्र व चिंता से जो जीवन शक्तियों को कुचल डालती है मुक्त हो जाती है.इसके साथ-साथ शांति और चैन की प्राप्ति होती है.इसके द्वारा आत्मा में ऐसा आनंद उत्पन्न हो जाता है जिसको कोई सांसारिक प्रदार्थ नष्ट नहीं कर सकता,पवित्र आत्मा में आनंद-स्वास्थ्यकर,जीवनप्रद आनंद.ककेप 275.2

    हमारे प्रभु के वचन,’’मेरे पास जाओ....मैं तुम्हें विश्राम दूंगा, ‘’एक नुस्खा है जिससे शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रोग चंगा होते हैं.यद्यपि मनुष्य अपने बुरे कर्मों के द्वारा अपने ऊपर क्लेश वे दु:ख लाया है.तौभी परमेश्वर उन पर करुणादृष्टि से देखता है.उसमें उनको सहायता मिलती है.वह उनके लिये बड़े बड़े काम करेगा जो उस पर भरोसा रखते हैं.ककेप 275.3