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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    लोगों को धर्मशास्त्र की ओर संकेत करना

    लिखी हुई साक्षियां नया प्रकाश देने के लिए नहीं परन्तु पहिले से प्रकाशित सत्यों को स्पष्टता से हृदय पर अंकित करने के लिए हैं.मनुष्य का कर्तव्य परमेश्वर की और उसके भाई की ओर क्या है उसका स्पष्टता से परमेश्वर के वचन में विशेष रुप में वर्णन किया गया है परन्तु तौभी आप में से थोड़े हैं जो दिये गये प्रकाश के पालन करने हारे हैं. अतिरिक्त सत्य उपस्थित नहीं किया गया परन्तु जो प्रमुख स्तय पूर्व दिये गये हैं परमेश्वर ने उन्हें साक्षियों द्वारा सरल कर दिया है और अपने ही चुने हुये तरीके वह उन्हें लोगों के सामने उनके हृदय को प्रभावित करने और उनमे जाग्रति उत्पन्न करने के हेतु लाया ताकि किसी को बहाने का मौका न हो.साक्षियाँ परमेश्वर के वचन का मूल्य तुच्छ नहीं करता है परन्तु उसको उठाती और मनों को उसकी ओर आकर्षित करती हैं ताकि सत्य की सुन्दर सरलता सभों के मन को भावे.ककेप 142.2

    बाइबल को रद्द करने के लिए पवित्रआत्मा कभी नहीं दिया गया न कभी दिया जा सकता क्योंकि धर्मशास्त्र स्पष्टता से बतलाता है कि परमेश्वर का वचन ऐसा माप है जिस से सारे सिद्धान्तों और अनुभवों की परीक्षा की जाती है...यशायाह घोषणा करता है, ‘’व्यवस्था और चितौनी ही की चर्चा करें. यदि वे लोग इन वचनों के अनुसार न बोले तो निश्चय उनके लिए पह न फटेगी.’’(यशायाह 8:20)ककेप 142.3

    भाई इस बात को दिखलाने से मन को व्याकुल करता है कि वह प्रकाश जो परमेश्वर ने साक्षियों द्वारा दिया है परमेश्वर के वचन के अतिरिक्त है परन्तु इसमें वह इस बात को मिथ्या प्रकाश में दिखलाता है. इस तरीके से परमेश्वर ने उचित समझा कि वह अपने लोगों के मन को अपने वचन की ओर आकर्षित करने और उनको उसका एक स्पष्ट ज्ञान प्रदान करे. परमेश्वर का वचन अत्यन्त धूमिल हृदय को भी प्रकाशमान करने को पर्याप्त है और उनकी समझ में आ सकता है जिनकी उसे समझने की इच्छा है. परन्तु इसके होते हुए भी कुछ लोग जो परमेश्वर के वचन के अध्ययन का दावा करते हैं उसके सरलतम उपदेशों का खुला विरोध करते हुए पाए जाते हैं. फिर ऐसा नहीं कि पुरुष और स्त्रियाँ किसी प्रकार का बहाना करें. परमेश्वर स्पष्ट और निर्दिष्ट साक्षियां देकर उनको वचन की ओर ले आता है जिन्होंने पालन करने में अवहेलना की थी.परमेश्वर के वचन की सही आदतों के निर्माण के लिए साधारण सिद्धान्तों से भरपूर है और सार्वजनिक और व्यक्तिगत साक्षियां उनके ध्यान की विशेष कर इन सिद्धांन्तों की ओर आकर्षित करने के लिए दी गई हैं.ककेप 142.4

    मैं ने बहुमूल्य बाइबल ली और उसको कलीसिया के लिए साक्षियों से चारों ओर से घेर दिया. मैं ने कहा, ‘’यहां प्राय: सारी परिस्थितियों की पूर्ति होती हैं, जिन पापों से उन को घृणा करनी चाहिए. यहाँ पर उनकी ओर संकेत किया गया है.वह उपदेश जिनकी उनको इच्छा है यहीं पाये जाते हैं जो यथार्थत: दूसरी परिस्थितियों के लिए भी उपयुक्त हैं. परमेश्वर आप को आज्ञा पर आज्ञा और नियम पर नियम देने को तैयार है.”ककेप 142.5

    परन्तु आप में बहुत कम हैं जो वास्तव में जानते हैं कि साक्षियों में क्या लिखा है. आप की धर्मशास्त्र से पूरी पूरी जानकारी नहीं है.यदि आप परमेश्वर के वचन को इस इच्छा से अध्ययन का विषय बनाते कि बाइबल के स्तर तक आप पहुंच जाएं और मसीह को सिद्धता को प्राप्त करें तो आपको साक्षियों की आवश्यकता न होती. क्योंकि आप ने परमेश्वर के प्रेरित पुस्तक से जानकारी प्राप्त करने में अवहेलना की हैं इसलिए उसने यह युक्ति निकाली कि इन साधारण सीधी साक्षियों के द्वारा आप तक पहुंचे और आप का ध्यान प्रेरणा के उन वचनों की ओर आकर्षित करे जिनको पालन करने में आप ने उपेक्षा की है और आप से अनुरोध करे कि आप अपने जीवन का निर्माण इन पवित्र सर्वोच्च उपदेशों के अनुकूल करें.ककेप 143.1