Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents
कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    भूमिका

    मसीह से मिलने की तैयारी

    एलन जी. व्हाइट

    समस्त ऐडवेनटिस्ट लोग उत्सुकता से उस दिन की बाट जोह रहे हैं जब यीशु उन्हें उस सुन्दर घर को ले जाने आये जिसे वह तैयार करने गया है. उस स्वर्गीय धाम में न तो पाप होगा न निराशाये,न भूख लगेगी, न दरिद्रता, न रोग और न मृत्यु होगी. जब प्रेरित यूहन्ना ने उन विशेषाधिकारों पर विचार किया जिन्हें इनामदारों को प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होगा तो वह यह कहे बिना न रह सका, “देखो पिता ने हम से कैसे प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं ...अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे तो हम भी उसके समान होंगे.’‘ ( 1 यूहन्ना 3: 1,2)ककेप 6.1

    परमेश्वर का अभिप्राय है कि प्रत्येक का चरित्र यीशु की तरह हो. प्रारंभ में परमेश्वर की युक्ति थी कि मानव परिवार का हर सदस्य जो उसके स्वरूप में पैदा किया गया है, इश्वरीय गुणों का विकास करे. इस अभिप्राय का प्रतिपालन करने के लिए हमारे प्रथम एदन वासी माता-पिता मसीह तथा स्वर्गदूतों से साक्षात् मार्ग दर्शन प्राप्त करते थे. परन्तु मनुष्य के पापी हो जाने के बाद वह स्वर्गीय प्राणियों से खुल्लमखुल्ला बातचीत नहीं कर सकता था.ककेप 6.2

    मनुष्य का नेतृत्व न टूट जाय, इस लिए परमेश्वर ने अन्य साधनों द्वारा अपनी इच्छा लोगों पर प्रगट की, जिसमें प्रमुख भविष्यवक्ताएं हैं; अर्थात उन पुरूषों व स्त्रियों द्वारा जो जनता तक परमेश्वर का सन्देश पहुँचाते हैं. इस्राएलियों को परमेश्वर ने बतलाया, ‘यदि तुम में कोई नबी हो, तो उस पर मैं यहोवा दर्शन के द्वारा अपने आप को प्रगट करूंगा, वा स्वप्न में उससे बात करूंगा.’‘ ( गिनती 12:6)ककेप 6.3

    परमेश्वर की इच्छा है कि उसके लोगों को सन्देश और प्रकाश मिलता रहे जिनसे वे उस समय को जानें और पहचाने जिसमें वे रहते हैं और भविष्य की जानकारी प्राप्त कर सकें.’ इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यवक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रगट किये कुछ भी न करेगा.” (आमोस 3:7) इसी से परमेश्वर के लोगों अर्थात ज्योति की सन्तान ‘‘ ( थिस्सलुनीकियों 5:5) और संसार के लोगों में अन्तर पाया जाता है.ककेप 6.4

    नबी के काम में भावी कथन से भी अत्यधिक बातें निहित हैं. मूसा नबी ने बाइबल को छ: पुस्तकें लिखी हैं. उसने भविष्य में होने वाली घटनाओं के विषय में बहुत कम लिखा है. उसके काम के विषय में होशे नबी विस्तारपूर्वक कहता है, एक भविष्यवक्ता के द्वारा यहोवा इस्राएल को मिस्र से निकाल ले आया, और भविष्यद्वक्ता ही के द्वारा उसकी रक्षा हुई. ( होश 12:13) ककेप 7.1

    नबी को न तो उसकी जाति के लोग नियुक्त करते है और न ही वह स्वंव नियुक्त होता है. किसी व्यक्ति के नबी होने का चुनाव सम्पूर्णत: परमेश्वर ही के हाथ में है, वही केवल मनुष्य के हदय को देख और जान सकता है. यह बात प्रत्यक्ष है कि परमेश्वर के लोगों को इतिहास में पुरुष और स्त्री दोनों उसके मुख पात्र होने के लिये चुने गये है.ककेप 7.2

    परमेश्वर के चुने हुए इन स्त्री-पुरुषों ने उसके मुख पात्र के रूप में उन बातों को वर्णन तथा उल्लेख किया है जिनको परमेश्वर ने उन्हें दर्शन में बताया है. परमेश्वर के बहुमूल्य वचन ही में उनके सन्देशों का मूल है. इन नबियों के द्वारा मानव परिवार के सदस्यों को उस संघर्ष का पता चलता है जो मनुष्यों की आत्माओं के प्रति हो रहा है अर्थात शैतान और उसके दूतों के विरूद्व, मसीह और उसके दूतों का संघर्ष.ककेप 7.3

    हमें बतलाया जाता है कि यह संघर्ष जगत के अन्तिम दिनों में होगा और परमेश्वर उन साधनों को प्रदान करेगा जिनसे उसके काम की रक्षा होगी, और उन पुरुषों और स्त्रियों के समुदाय के चरित्र को जो अपने प्रभु की मुलाकात के लिए बाट जोह रहे हैं, सिद्ध करेगा.ककेप 7.4

    प्रेरितों ने जो बाइबल के लेखकों में आख़िरी थे अन्तिम दिनों की हालत का स्पष्ट चित्र खींचा है. पौलुस ने कठिन समयों का वर्णन किया है और पतरस ने हंसो ठट्ठा करने वालों के विषय में चेतावनी दी है कि वे अपनी अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहाँ है?’‘ इस समय कलीसिया संघर्ष में संलग्न है क्योंकि यूहन्ना ने देखा कि शैतान ‘’स्त्री के शेष संतान से लड़ने को गया है.’‘ककेप 7.5

    इन बाइबल के लेखकों ने मालूम किया कि यीशु के आगमन के पहले अपने लोगों को विशेष प्रकाश तथा मदद देने का परमेश्वर का प्रबन्ध था. ककेप 7.6

    पौलुस ने वर्णन किया है कि जो कलीसिया मसीह के आगमन की उत्सुकता से बाट देख रही है अर्थात ऐडवेनटिस्ट कलीसिया की ‘’किसी वरदान में घटी नहीं होगी.’’(1 कुरिन्थियों 1:7,8) वह संयुक्त व परिपक्व होगी और उसके योग्य नेता होंगे उसमें नबुवत की आत्मा का वरदान पाया जाएगा, क्योंकि उसके अन्दर प्रेरित, नबी, उपदेशक, चरवाहे तथा शिक्षक पाये जाएंगे. (इफिसियों 4:11)ककेप 7.7

    प्रेरित यूहन्ना अन्तिम दिनों की कलीसिया के सदस्यों की पहचान’’शेव कलीसिया’‘ करके बताता है जो ‘‘ परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते हैं.’‘ ( प्रकाशितवाक्य 12:17)इस प्रकार वह आज्ञापालन करने वाली मण्डली है. इस शेष मण्डली में यीशु की गवाही ‘‘ भी पाई जायगी जो ” भविष्यद्धाण की आत्मा है.” ( प्रकाशित वाक्य 18:10)ककेप 7.8

    तब यह स्पष्ट है कि परमेश्वर की योजना में सेवन्थय -डे ऐडवेनटिस्ट मण्डली-नबूवत की कलीसिया- जब वह अस्तित्व में आई तो उसके अन्दर नबुवत के आत्मा का वरदान पाया गया. यह बातककेप 7.9

    कैसी उचित है कि परमेश्वर अपने लोगों से जगत के अन्तिम दिनों में जब सघंर्ष संगीन और समय कठिन है इस प्रकार वार्तालाप किया था.ककेप 8.1

    नबुवत की यह कलीसिया -सेवन्थ-डे ऐड्वेनटिस्ट कलीसिया एक सौ वर्ष से अधिक हुए जब अस्तित्व में आई तो ठीक उसी समय जो नबुवत द्वारा बतलाया गया था एक आवाज के मध्य यह कहते सुनाई दो,( परमेश्वर ने मुझे पवित्र दर्शन में दिखलाया.)’‘ककेप 8.2

    ये वचन अहंकार पूर्ण नहीं थे परन्तु एक सतरह-वर्षीय कुमारी की उक्ति थी जो परमेश्वर का मुख पात्र होने को बुलाई गई थी. सत्तर वर्षों के विश्वसनीय सेवा कार्य के दर्मियान वह आवाज हमारे बीच मार्गदर्शन, सुधार तथा शिक्षा का कार्य करती रही. वही आवाज आज भी परमेश्वर के चुने हुए पैगम्बर मिसिज इ.जी. व्हाइट की अथक लेखनी से लिखित सहरत्रों पृष्ठों द्वारा सुनाई दे रही है.ककेप 8.3

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents