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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    चाय और कॉफी से शरीर का पोषण नहीं होता

    चाय उत्तेजिक के रुप में कार्य करती है और किसी हद तक नाश पैदा करती है.कॉफी का और बहुत अन्य लोकप्रिय पेयों का असर इसी प्रकार का होता है.उसका प्रथम प्रभाव आनन्ददायक होता है.आमाशय को नाड़ियां उत्तेजित हो जाती हैं;ये मस्तिष्क को भी उत्तेजित करती हैं और यह अपनी बारी में हृदय को ज्यादा काम देने को और समस्त शरीर रचना को अल्पकालिक शक्ति देने को उत्तेजित करता है.थकावट का नाम नहीं रहता;ऐसा मालूम होता है कि बल में वृद्धि हो गई.मस्तिष्क जाग जाता है,कल्पना शक्ति और भी स्पष्ट हो जाती है,ककेप 301.10

    इन परिणामों के सब्बत बहुत से यह सोचने लगते हैं कि चाय या कॉफी से उनको बड़ा फायदा हो रहा हैं.परंतु यह भूल है चाय या कॉफी से शरीर का पोषण नहीं होता उनके पचन होने से पूर्व ही उनका प्रभाव देता है और जो पहिले बल व शक्ति समझी जाती थी वह केवल स्नायविक उत्तेजिना ही है.जब उत्तेजक का प्रभाव चला जाता है तो अस्वाभाविक शक्ति भी कम हो जाती है और नतीजा दुर्बलता व कमजोरी होती है.ककेप 302.1

    नाड़ी-उत्तेजकों के निरंतर प्रयोग के बाद सिर दर्द, जागरण( अनिद्रा ), हृदय की धड़कन,अपचन,कपकपी अनेक खराबियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जो जीवन शक्तियों को क्षीण कर डालते हैं.थकी मांदी नाड़ियों को विश्राम व शांति की आवश्यकता है न कि उत्तेजिना तथा अत्यधिक काम की.ककेप 302.2

    कुछ लोग धर्म से पीछे हट गये हैं और चाय और कॉफी का फिर सेवन करने लगे हैं.बुराइयों की बुनियाद डाल रही है.जब रोग आक्रमण करता है तो अनेक लोग अपनी अस्वस्थता का कारण ढुंढने का कष्ट नहीं करते.उनकी सारी चिन्ता यही है कि दर्द तथा कष्ट दूर हो जाय.ककेप 302.3