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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 47 - संयमी जीवन व्यतीत करने के लिये बुलाहट

    स्वास्थ्य एक बहुमूल्य देन है और बहुत से लोग महसूस नहीं करते कि इसका अन्त:करण और धर्म से घना सम्बंध है.इसका किसी भी व्यक्ति की सेवा करने की योग्यता से बहुत कुछ सम्बंध है,जिसकी चरित्र के समान बड़ी पवित्रताई से रखवाली करनी चाहिये क्योंकि जितना अच्छा स्वास्थ्य होगा उतनी ही पूर्ण हमारी कोशिशें परमेश्वर के कार्य को फैलाने व उन्नत करने के लिये और मानव के आशीर्वाद के लिये होंगी.ककेप 272.1

    दिसम्बर 10,1971 को मुझे फिर बतलाया गया कि स्वास्थ्य सुधार इस भारी काम की एक शाखा है जिसके द्वारा लोग प्रभु के आगमन के लिये योग्य बनाये जायेंगे.इसका और तीसरे दूत के संदेश का परस्पर ऐसा घनिष्ट सम्बन्ध है जैसे हाथ का शरीर के साथ.दस आज्ञाओं की व्यवस्था का मनुष्य ने यथोचित आदर नहीं किया हैं परन्तु परमेश्वर उस व्यवस्था के उलंघनकारियों को दंड देने नहीं उतरेगा जब तक पहिले वह उनको चितावनी का संदेश न भेज दे.तीसरा दृत उसी संदेश की घोषणा करता है.यदि लोग दस आज्ञाओं की व्यवस्था का पालन करते और अपने जीवन में उन सिद्धान्तों को प्रगट करते तो बीमारियों का अभिशाप जो इस समय संसार को डुबो रहा है न भड़कता हो नहीं सकता कि स्त्री पुरुष भ्रष्ट क्षुधा तथा भोग विलास की कामनाओं को तृप्ति द्वारा प्राकृतिक नियमों का उल्लघंन करें और परमेश्वर की व्यवस्था भंग न हो.इसी वास्ते उसने स्वास्थ्य सुधार का प्रकाश हम पर चमकाया ताकि हम उन नियमों का जिन्हें उसने हमारे व्यक्तित्व में कायम किये हैं. उनका उल्लघंन करते समय अपने पापों को देख सकें.हमारे सुख व दु:ख का मूल कारण प्रकृति के नियम का पालन करना है या उसका उल्लघंन करना. हमारा दयालु स्वर्गवासी पिता मनुष्य की सोचनीय स्थिति को देखता है जिन में से कुछ तो जानबूझकर परन्तु बहुत से अज्ञानता से उसके स्थापन किये नियमों का विरोध करते हैं.और मनुष्य जाति के लिये प्रेम और करुणा परमेश्वर स्वास्थ्य सुधार पर अपना प्रकाश डालता है.वह अपने नियम तथा उसके उल्लंघन के फलस्वरुप दंड को इस लिए प्रकाशित करता है कि सब लोग सीख लें और प्राकृतिक नियमों के अनुकूल जीवन-यापन करें, वह अपनी व्यवस्था को ऐसी स्पष्टता से घोषित करता है तथा उसको ऐसा प्रत्यक्ष करता है कि वह एक नगर की भांति दिखता है जो पहाड़ी पर बसा है.समस्त उतरदायी व्यक्ति यदि चाहें तो उसे समझ सकते हैं.मूर्खा की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं.स्वाभाविक नियम को स्पष्ट कर दिखाना और उसके पालन के प्रति अनुरोध करना तीसरे दूत के संदेश के संग-संग चलने वाला कार्य है जिससे लोग प्रभु के आगमन के लिए तैयार किए जाते हैं.ककेप 272.2