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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    मसीही शिक्षा में बाइबल का स्थान

    मानसिक शिक्षण के लिए बाइबल किसी अन्य पुस्तक अथवा पुस्तकों के संग्रह की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली पुस्तक है.उसके विषयों की गुरूता उसकी उक्तियों की शानदार सरलता (सादगी)उसके वाक्यालंकार(मानसिक चित्रकारी)का सौंदर्य विचाराधारा का उत्थान करता तथा उसमें नई जान डाल देता है.प्रकाशित वचन के विस्मयजनक सत्य को ग्रहण करने से इतनी मानसिक शक्ति प्राप्त होती है जितना किसी अन्य ग्रंथ के अध्ययन से प्राप्त नहीं हो सकती.इस प्रकार जब मस्तिष्क का सम्पर्क परमेश्वर के विचारों से होता है तो वह फैलता और मजबूत हो जाता है.ककेप 265.6

    बाइबल की शक्ति आध्यात्मिक प्रकृति का विकास करने में और भी शक्तिमान है.मनुष्य जो परमेश्वर के साथ सत्संग रखने को पैदा किया गया है ऐसे मित्रता में अपना जीवन और विकास प्राप्त कर सकता है.परमेश्वर ही में आनन्द प्राप्त करने के निमित्त पैदा किये जाने पर वह सकता है.परमेश्वर ही में आनन्द प्राप्त करने के निमित्त पैदा किये जाने पर वह किसी और प्रदार्थ में हृदय की उत्कंठाओं की तृप्ति तथा आत्मा की भूख प्यास की संतुष्टता नहीं पा सकता.जो सच्चे और शिक्षणीय हृदय से परमेश्वर का वचन सीखता है और उसके सत्य को समझने की चेष्टा करता है वह उसके ग्रंथकर्ता के सम्पर्क में लाया जायगा जिससे उसके क्रमोत्रति की सम्भावना की कोई सीमा न रहेगी,यदि वह अपनी ही इच्छानुसार न चले तो.ककेप 266.1

    धर्मपुस्तक से पाठ सम्बंधित जरूरी वाक्यों को कर्तव्य की बात नहीं परन्तु गौरव की बात समझकर कंठाग्र कर लेना चाहिए.यद्यपि शुरू में स्मरणशक्ति दूषित प्रतीत हो फिर भी वह अभ्यास द्वारा बलवन्त हो जायगी ऐसा कि कुछ समय पश्चात् आप सत्य के वचनों को यों संचय करने में आनंद लेंगे, और यह आदत आध्यात्मिक वृद्धि के लिए उपयुक्त सिद्ध होगी. ककेप 266.2