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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    शैतान का काम है संदेह पैदा करना

    उनेक परिस्थितियों में साक्षियों का पूर्णत:स्वागत किया जाता है पाप और पाप की लत के बंधन तोड़ डाले जाते हैं और परमेश्वर की दी हुई ज्योति के अनुसार सुधार का कार्य आरम्भ हो जाता है. अन्य दशाओं में पाप की लत का समर्थन होता है साक्षियों का तिरस्कार किया जाता हैं.और उनको अस्वीकार करने के हेतु बहुत से झूठे बहाने उपस्थित किये जाते हैं. यथार्थ कारण नहीं बतलाया जाता.नैतिक साहस के अभाव के कारण ऐसा होता है.नैतिक साहस-वह इच्छ जो परमेश्वर की आत्मा द्वारा नियंत्रित होती है जिसके अभाव से हानिकारक आदतों का त्याग नहीं हो सकता है.ककेप 143.4

    परमेश्वर की दी हुई निर्दिष्ट साक्षी के प्रति शैतान को संदेह उत्पन्न करने और विरोध खड़ा करने की योग्यता है, और कई एक तो उन पर शक करना और टेढ़े मेढ़े प्रश्न पूछना तथा हेर की बातें करना अपनी चतुराई का एक शुभ लक्षण समझते हैं.संदेह करने की इच्छा रखने वालों को संदेह करने की काफी गुंजाइश होगी. परमेश्वर अविश्वास के सारे अवसरों को नहीं हटा देता है. वह प्रमाण देता है जिसे नम्र मन के नम्रता और सीखने की प्रवृति से सावधानी के साथ परीक्षण करना चाहिए और प्रमाण के बल पर निर्णय देना चाहिये.निष्पक्ष मन वाले व्यक्ति को परमेश्वर पर्याप्त जो नहीं समझ सकता है और साक्षियों के दबाव से हट जाता है वह अविश्वास और संदेह पूर्ण द्विविधाओं के ठंडे हतोत्साह व्यायुमंडल में पड़ जायगा जहां उसके विश्वास का जहाज चकनाचूर हो जाता हैककेप 144.1

    शैतान की योजना यह है कि साक्षियों की ओर परमेश्वर के लोगों का विश्वास कमजोर हो जाय.शैतान आक्रमण करना जानता है. वह लोगों के मन में कार्य अध्यक्षों की ओर ईष्र्या और असंतोष को उभारता है. फिर वरदानों पर संन्देह प्रकट करवाता है;और प्रभाव कम होने से दर्शन द्वारा दिये गये उपदेशों का अनादर किया जाता है. तत्पश्चात् हमारी स्थिति के स्तंभ अर्थात् हमारे विश्वास के प्रमुख तथ्यों के प्रति अविश्वास उत्पन्न हो जाता है फिर पवित्रशास्त्र की ओर संदेह होने लगता है और अंत में विनाश की ओर कदम बढ़ते हैं. ककेप 144.2

    साक्षियों पर संदेह और उनका तिरस्कार किया जाता है. शैतान यह जानता है कि धोखा खाये हुये लोग इतने ही को पर्याप्त न समझेंगे फिर तो वह अपनी कोशिशों को दुगना कर देता है और लोगों में खुलमखुल्ला उपद्रव मचवाता है.इस स्थिति असाध्य होकर विनाश को पहुंचाता है.परमेश्वर के कार्य के सम्बंध में शंका और अविश्वास को स्थान देने से और संदेह और कुदिल ईष्र्या की भावनाओं को अपने मन में स्थान देकर अपने को पूर्ण धोखे के लिए तैयार कर रहे हैं. वे उनके विरुद्ध कुटिल भावनाओं को लेकर उठ खड़े होते हैं जो उनकी गलतियों को उन पर प्रकट करने तथा अपराधों को ताड़ना करने का साहस करते हैं.ककेप 144.3

    केवल वे ही लोग भंयकर स्थिति में नहीं हैं जो प्रत्यक्ष में साक्षियों को रद्द करते अथवा उन्हें शंका की दृष्टि से देखते हैं. प्रकाश का अनादर करना उसको अस्वीकार करने के समान है.ककेप 144.4

    यदि साक्षियों पर आपका विश्वास न हो तो आप बाइबल के सत्य से भटक जायगे. मुझे लगता है कि बहुत साक्षियों पर संदेह करेंगे और उनका विश्वास हट जायगा. अत: मुझे आपकी आत्माओं के लिए दु:खी होकर चितावनी देनी पड़ती है. कितने हैं जो इस चितावनी पर ध्यान देंगे?ककेप 144.5