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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 51 - स्वास्थ्य सुधार में विश्वस्तता

    मुझे हिदायत मिली कि अपने समस्त लोगों को स्वास्थ्य सुधार के विषय में एक संदेश पहुंचाऊं;क्योंकि बहुत से लोग स्वास्थ्य सुधार सिद्धान्तों की प्राचीन विश्वस्तता से पीछे हट गये हैं.ककेप 291.1

    अपनो सन्तान के लिये परमेश्वर का यह अभिप्राय है कि वे मसीह में पुरुष व स्त्रियों के पूरे कद तक बढे.इस अभिप्राय को पूरा करने के हेतु उन्हें प्रत्येक मानसिक,आत्मिक तथा शारीरिक शक्ति का यथोचित प्रयोग करना चाहिये,उनके पास मानसिक अथवा शारीरिक शक्ति हैं नहीं जिनको नष्ट कर सकते हैं.ककेप 291.2

    महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि स्वास्थ्य की किस प्रकार रक्षा करें. जब हम इस प्रश्न का अध्ययन परमेश्वर के भय के साथ करते हैं तो हम सीखेंगे कि हमारे शारीरिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिये यही अच्छा है कि आहार में सादगी बरतें.आइये इस प्रश्न का धीरज के साथ अध्ययन करें.इस विषय में बुद्धिमता के साथ आगे बढ़ने के लिये हमें ज्ञान तथा विवेक की आवश्यकता है.प्रकृति के नियमों का मुकाबला नहीं वरन् पालन होना चाहिये ककेप 291.3

    जिन लोगों को मांसाहार, चाय,काफी तथा तर और अनारोग्यकर भोजन पदार्थों के उपयोग की खराबियों के विषय में उपदेश मिल चुके हैं जो बलिदान करके परमेश्वर के संग वाचा बांधने पर उद्यत हैं वे उन भोजनों की क्षुधा तृप्त करने में न लगे रहेंगे जिन्हें वे हानि समझते हैं.परमेश्वर मांग करता है कि क्षुधाओं की शुद्धि हो और जो वस्तु अच्छी नहीं है उनके प्रति आत्म त्याग बरता जाय.परमेश्वर के लोगों को उसके सन्मुख एक सिद्ध लोग की हैसियत में खड़ा होने से पहिले इस कार्य का किया जाना जरुरी है.ककेप 291.4

    परमेश्वर के शेष लोगों को मन परिवर्तित लोग होना चाहिये.इस संदेश के प्रचार का नतीजा यह होगा कि आत्माओं में उदय परिवर्तन तथा शुद्धि होगी.इस आंदोलन में परमेश्वर की आत्मा के सामर्थ्य को महसूस करना चाहिये.यह एक अद्भुत,विशेष संदेश हैं;ग्रहण करने वाले को यह संदेश सब कुछ है और इसकी बुलंद आवाज के साथ धोषणा होनी चाहिये.हम में यह सच्चा, दृढ़ विश्वास होना चाहिये कि यह संदेश विस्तृत महत्व के साथ अंत के समय तक फैलता जायगा.ककेप 291.5

    कुछ विश्वासी ऐसे हैं जो साक्षियों के कुछ भागों को तो परमेश्वर के संदेश जैसे स्वीकार करते हैं पर उन भागों को ग्रहण नहीं करते जो उनके प्रिय व्यसनों की निंदा करते हैं.ऐसे लोग अपने ही कल्याण तथा मंडली के कल्याण के विरुद्ध कार्यवाही कर रहे हैं.यह बात आवश्यक है कि जब तक हमारे पास प्रकाश है उसमें चलते रहें.जो स्वास्थ्य सुधार में विश्वास रखने का दावा करते हैं फिर भी अपने दैनिक जीवनचर्या में उसके सिद्धान्तों के प्रतिफल कार्य करते हैं अपनी ही आत्मा को दु:ख पहुंचा रहे हैं और विश्वासियों और अविश्वासियों दोनों के मन अनुचित प्रभाव डाल रहे हैं,ककेप 291.6