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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    अध्याय 61 - आने जवाली सूक्ष्य घड़ी

    परमेश्वर की व्यवस्था के लिये ज्यों ज्यों निरादर अधिक स्पष्ट रीति होगी त्यों त्यों उसके मानने वालों और सांसारिक लोगों के बीच सीमाबन्दी की रेखा और भी प्रत्यक्ष दिखाई देगी.जिस तरह एक वर्ग में ईश्वरीय सिद्धान्तों के लिये स्नेह बढ़ेगा उसी तरह दूसरे वर्ग में उनके लिये घृणा बढ़ेगी.ककेप 339.1

    वह सूक्ष्म घड़ी शीघ्र आ रही है.वेग से बढ़ने वालों आंकड़ों की सूची बतलाती है कि परमेश्वर के कोप का समय प्राय: आ चुका है.यद्यपि वह दंड देने को अनिच्छुक है तोभी दंड वह अवश्य देगा और वह भी बहुत शीघ्र.ककेप 339.2

    परमेश्वर का दंड ठीक हमारे ऊपर है.परमेश्वर की मुहर केवल उन्हीं के माथे पर लगेगी जो देश में घृणित कामों के सब्बत आह भरते और चिल्लाते हैं.जो संसार के साथ सहानुभूति कर अपने को जोड़ते हैं वे शराबियों के साथ खा पी रहे हैं और निश्चितरुप में कुकर्मियों के संग नाश होंगे. क्योंकि प्रभु को आँखें धार्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की विनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है.’’(1पतरस 3:12)ककेप 339.3

    हमारी चाल ढाल से पता लग जायगा कि हम पर जीवते परमेश्वर की छाप लगेगी अथवी घातक अस्त्रों से काट डाले जायंगे.परमेश्वर के कोप को चन्द बूंदे पड़ भी चुकी है;परन्तु जब सात अन्तिम विपत्तियां उसके कोप के कटोरे में मिलावट उडेले जायंगे तब पश्चाताप करने और शरणस्थान को ढूंढने के लिये अत्यधिक देर हो जायगी.उस समय कोई प्रायश्चित का लोहु पाप के धब्बे को नहीं धो सकेगा. ककेप 339.4

    जो सब्बत मानने का दावा करते हैं वे सब के सब मुहरयाफता नहीं होंगे.उन में से बहुतों के जो दूसरों को सच्चाई सिखलाते हैं माथे पर परमेश्वर की छाप नहीं लगेगी सत्य का प्रकाश उनको मिला था,वे अपने स्वामी की इच्छा जानते थे,विश्वास के हर एक की शिक्षा वे समझते थे परन्तु उन्होंने तदनुसार काम न किये.ये जो भविष्यवाणी से और ईश्वरीय ज्ञान के खजाने से ऐसे परिचित थे तो चाहिये था कि वे विश्वासानुकुल कार्य करते .उनको चाहिए था कि वे अपने पीछे पीछे अपने परिवार को चलने का आदेश देते कि एक सुप्रबंधिक परिवार द्वारा वे संसार के सामने मानव हृदय पर पड़ने वाले सत्य के प्रभाव को पेश कर सकते.ककेप 339.5

    अपनी भक्ति तथा धार्मिकता की त्रुटि से और उन धार्मिक स्तर तक पहुँचने में असफल रहने से वे दूसरे लोगों को भी उनकी स्थिति से संतुष्ट करवाते हैं.सौमित विवेक रखने वाले पुरुष नहीं देख सकते कि इन मनुष्यों को नमूना बनाने में जिन्होंने कई बार परमेश्वर के वचन का खजाना उन के सामने खोला था वे निश्चित रुप में अपनी आत्माओं को खतरे में डाल रहे हैं.केवल यीशु ही सच्चा आदर्श है.यदि वह परमेश्वर की मरजी जानना चाहता है तो हर एक को बचे का-सा नम्र शिक्षाणीय हृदय से घुटनों के बल होकर अपने लिए धर्मपुस्तक की खोज करनी चाहिए.किसी भी कर्मचारी ने चाहे परमेश्वर की दृष्टि में कितना ही उच्च स्थान क्यों न प्राप्त किया हो यदि वह परमेश्वर दत्त प्रकाश का अनुसरण करने में अवहेलना करता है,यदि वह छोटे बच्चे की तरह सीखने से इन्कार करता है तो वह अंधकार और शैतानी भ्रमजाल में फंस जाएगा और दूसरों को भी उसी मार्ग पर ले चलेगा.ककेप 339.6

    जब तक हमारे चरित्र में एक दाग या धबा रहेगा तब तक हम में से किसी पर परमेश्वर की छाप कभी नहीं लगेगी.यह हमारे ही ऊपर छोड़ दिया गया है कि अपने चरित्र की त्रुटियों का इलाज करें, और मन मंदिर को हर अपवित्रता से शुद्ध करें.तब पिछली वर्षा हम पर बरसेगी जिस तरह पेन्तिकोष्ट के दिन पहिली वर्षा शिष्यों पर बरसी थी.ककेप 340.1

    किसी को यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उसकी परिस्थिति निराशाजनक है कि वह मसीही जीवन यापन नहीं कर सकता.हर आत्मा के लिये मसीह की मृत्यु द्वारा विस्तीर्ण प्रबंध किया गया है.आवश्यकता के समय यीशु हमारा, सर्वदा उपस्थित मददगार है.केवल उसको विश्वास से पुकारिये उसने आप की विनतियों पर कान धरने और उत्तर देने का वायदा किया है.ककेप 340.2

    आह जीवित सक्रिय विश्वास ! हमें इसकी आवश्यकता है;हमारे पास ऐसा ही विश्वास होना चाहिये अथवा परीक्षा के दिन हम निराश होकर असफल हो जायंगे.उस अंधकार से उस समय हमारे मार्ग पर छा जाएगा, हमें निरुत्साह तथा निराश न होना चाहिये. यह एक पर्दा है जिसके पीछे परमेश्वर जब मूल्यवान आशीषं देने आएगी,अपने प्रताप को छिपा रहा है.इसको हमें अपने गत अनुभवों से जान लेना चाहिये.उस दिन जब परमेश्वर अपने लोगों से विवाद करेगा तो यही अनुभव संतोष औरआशा का स्त्रोत सिद्ध होगा.ककेप 340.3

    यही समय है हम अपने को और अपने बालको को संसार से निर्दोष रखें.यहो समय है कि हम अपने चरित्ररुपी वस्त्र धोकर मेम्ने के रक्त में सफेद करें.यही समय है कि हम को अभिमान,अभिलाषा तथा आत्मिक आलस्य पर जय पाना है.यही समय है कि हम जाग कर चरित्र को सुडौल बनाने का निश्चित प्रयत्न करें. “आज जो तुम उसका शब्द सुनो तो अपना मन कठोर मत करो.’’(इब्रानियों3:7,8,15)ककेप 340.4

    अब तैयार करने का समय है. परमेश्वर की छाप अपवित्र पुरुष व स्त्री के माथे पर कभी नहीं लगेगी. यह छाप अभिलाषी,संसार-प्रिय पुरुष व स्त्री के माथे पर कभी नहीं लगाई जायगी. यह झूठी जिव्हा वाले अथवा धोखेबाज मन वालेककेप 340.5

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