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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    परमेश्वर की मनुष्य के आहार के प्रति आरंभिक योचना

    उत्तम भोजन में क्या-क्या सम्मिलित है,उसे जानने के लिये हमें मनुष्य के आहार के प्रति परमेश्वर कीआरंभिक योजना का अध्ययन करना चाहिये.जिसने मनुष्य को उत्पन्न किया और जो मनुष्य की आवश्यकताओं को समझता है उसी ने कहा,सुनो,जितने बीज का भोजनहार भी नियुक्त किया है. फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनी,जितने बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं वे सब मैं ने तुमको दिए हैं;वे तुम्हारे भोजन के लिए हैं.’’(उत्पत्ति 1:29)पाप के  अभिशाप के अधीन धरती जोत कर आजीविका कमाने के लिए एदेन से निकालने पर मनुष्य को ‘खेत को उपज ‘‘ (सब्जी)खाने की आज्ञा मिली.(उत्पत्ति 3:18)ककेप 279.4

    हमारे सृष्टिकर्ता ने जो खुराक हमारे लिये चुनी उसमें अनाज, फल,मेवे और सब्जियां सम्मिलित हैं.ये भोजनाहार यदि साधारण तथा स्वाभाविक रीति से तैयार किये तो अत्यंत आरोग्यकर तथा पुष्टिकर हैं.ये भोजन प्रदार्थ ऐसी शक्ति और सहनशीलता और मानसिक बल प्रदान करते हैं जो मिश्रित तथा उत्तेजित भोजनहारों से प्राप्त नहीं होता, स्वास्थ्य को कायम रखने के लिये अच्छे पुष्टिकर की पर्याप्त सामग्री के आवश्यकता है.ककेप 280.1

    यदि हम बुद्धिमानी के साथ योजना रचें तो वे प्रदार्थ जो स्वास्थ्य को उन्न्त करते हैं हर देश में प्राप्त हो सकते हैं.चावल, गेहू, मक्का , जई तथा सेम,मटर और दालें और उनसे बनाये हुये अनेक पदार्थ अन्य देशों को भी भेजे जाते हैं. देशी फलों अथवा विदेशों से मंगाये हुये फलों तथा स्थानीय रुप में पैदा की हुई नाना प्रकार की तरकारियों के साथ ये पदार्थ हमारी इच्छा के लिये वह सम्पूर्ण आहार उपस्थित कर देते हैं जिसमें मांस के प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं पड़ती.ककेप 280.2

    जहां कहीं ऐसे मेवे जैसे किशमिश,बेर,सेब, नाशपाती, आडू और खुर्वानी उचित दामों पर प्राप्त हो सकती हैं, वहां यह देखा जायेगा कि ये मुख्य खाद्य प्रदार्थ के रुप में अधिकता से प्रयोग किये जा सकते हैं.परिणाम स्वरुप हर वर्ग के कर्मचारियों के स्वास्थ्य और बल में वृद्धि नजर आयेगी.ककेप 280.3

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