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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    जिनकी परमेश्वर कद्र करता है उनको परखता भी है

    जब हमें परीक्षाओं को सहन करना होता है तो इस तथ्य से सिद्ध होता है कि प्रभु यीशु हम में कोई ऐसा कौमती आभूषण देखता है जिसको वह विकसित करना चाहता है. यदि वह देखता है कि हममें कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिससे उसके नाम की जय हो तो वह हमको शुद्ध करने में समय भी नष्ट न करेगा.हम कांटे ऊटकयरों को छांटने में विशेष कष्ट नहीं उठाते.मसीह बेकार पत्थरों को अपनी भट्टी में नहीं डालता मूल्यवान धातू ही को वह परखता है.ककेप 96.1

    जिन लोगों को परमेश्वर चाहता है कि वे जिम्मेदारी की जगह पर रखे जाये तो वह दयाधीन उनके छिपे हुए दोषों को प्रगट करता है कि वे अन्दर देखें और अपने हृदय के पेचदार आवेगों तथा अभ्यासों की समालोचना करें और बुराई को पहचाने,इस प्रकार वे अपने स्वभाव को और आचार-विचार का सुधार कर सकते हैं. प्रभु दूरदर्शिता द्वारा मनुष्यों को ऐसे स्थान पर लाता है जहाँ वह उनकी नैतिक शक्तियों की जांच कर सके और उनके काम करने का अभिप्राय प्रकट कर सके ताकि वे अपने अन्दर की भलाई को सुधार सकें और बुराई को दूर कर सकें.परमेश्वर अपने दासों को चाहता है कि वे अपने हृदय की नैतिक बल से परिचित हों.इसको करने के लिए बहुधा वह दुःख की आग उन पर आने देता है ताकि वे स्वच्छ हो जायं. “पर उसके आने का दिन कौन कह सकेगा और जब वह दिखाई दे तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान है और वह रुप को लावनेहारा और शुद्ध करने हारा बन बैठेगा और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रुपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे.’’(मलाकी 3:2,3)ककेप 96.2

    परमेश्वर अपने लोगों का मार्गदर्शन कदम-ब-कदम करता है.वह उनको भिन्न-भिन्न लक्ष्य पर लाता है जो उनके हृदय की स्थिति के दर्शक हैं.कुछ लोग एक बात को सह लेते हैं पर दूसरी बात पर गिर जाते हैं.प्रत्येक अगले कदम पर हृदय की जांच की जाती है और उसका और कड़ी तरह से इम्तहान किया जाता है.यदि परमेश्वर के लोग इस सीधे सच्चे कार्य के विरुद्ध हों तो उन्हें ज्ञान होना चाहिये कि उन्हें इस गलती पर विजय पाने का प्रयत्न करना चाहिए अन्यथा परमेश्वर इनको अपने मुंह से निकाल फेंकेगा. ककेप 96.3

    जितना जल्दी हम अपनी अयोग्यता की पहचान लें और परमेश्वर को विद्धता के मार्गदर्शन में चलने की स्वीकार करें तो वह हमारे संग काम कर सकता है.यदि हम अपने आप से स्वार्थ को त्याग कर दें तो वह सारी आवश्यकताओं को पूर्ण करेगा.ककेप 96.4