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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    संसार के साथ कारोबार में मैत्री

    कुछ लोगों में सांसारिक मामलों को बुद्धिमानी से चलाने की कार्य क्षमता नहीं है, उनमें अवश्य योग्यता की कमी है और शैतान उसी कमी से लाभ उठाता है जब ऐसी हालत है तो ऐसों को अपने कर्तव्य से अज्ञात नहीं रहना चाहिये.उन को नम्रता पूर्वक अपने भाइयों से सलाह लेनी चाहिए जिनके परामर्श पर उन्हें भरोसा कर के अपनी योजना को कार्यान्वित करना चाहिए.मेरा ध्यान इस पद की ओर आकर्षित किया गया,“तुम एक दूसरे का भार उठाओ.’’(गलतियों 6:2)कुछ लोग इतने नम्र नहीं है कि उन से परामर्श लें जो अच्छा निर्णय दे सकते हैं, जब तक वे अपनी युक्तियों का अनुकरण करके किसी कठिनाई में न फंस जाय, तब वे अपने भाईयों की सलाह व निर्णय की आवश्यकता महसूस करते हैं परन्तु अब भार पहिले की अपेक्षा और भी निकट की हो जाता है. भाईयों को न्यायालय में नहीं जाना चाहिए यदि किसी प्रकार संभव हो तो इस प्रकार वे शत्रु को मौका देते हैं कि वह उन्हें फंसावे और व्याकुल करे.बेहतर होगा कि वे हानि उठाकर किसी समझोते तक पहुँच जाएं.ककेप 155.2

    मैं ने देखा कि परमेश्वर अपने लोगों से अत्यन्त अप्रसन्न है क्योंकि वे अविश्वासियों के लिये जामिन ठहरते हैं. तुझे इन पदों की ओर आकर्षित किया गया जो लोग हाथ पर हाथ मारते और ऋणियों के उत्तरदायी होता हैं ,उनमें तू न होना.’‘ (नीतिवचन 22:26)जो परदेशी का उत्तरदायी होता है,वह बड़ा दु:ख उठाता है परन्तु जो उत्तरदायित्व से घृणा करता वह निडर रहता है.(नीतिवचन 11:15) बेईमान भंडारी !वे दूसरे की वस्तु को गिरौं रखते हैं अर्थात अपने स्वर्गीय पिता की वस्तु को, शैतान उस को उनके हाथों से छीनने के लिये अपनी संतान को सहायता देने को तैयार खड़ा रहता है. सब्बत मानने वालों को अविश्वासियों के साथ साझी नहीं होना चाहिए परमेश्वर के लोग परदेशियों की बातों पर बहुत ज्यादा भरोसा रखते हैं और उन से राय सम्मति लेते हैं जब कि नहीं लेना चाहिए.शत्रु उनको अपना कर्मचारी बनाता है और उनके द्वारा व्याकुल करने और परमेश्वर के लोगों से छीनने का कार्य करता है.ककेप 155.3