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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    साक्षियां और पाठक

    एलन जी. व्हाइट उन बातों को जिन्हें परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया था सत्तर वर्ष तब बोलती और लिखती रहीं.अनेक बार उन्हें जो बाइबल के सत्य से भटक गये थे सुधारने के लिए परामर्श दिये गये;अनेक बार उन्होंने ऐसा मार्ग प्रदर्शित किया जिस पर परमेश्वर अपने लोगों को चलाना चाहता है. कभी-कभी साक्षियां जीवन परिवार और कलीसिया को सुव्यवस्थित करने के लिए दी जातीर्थी. कलीसिया के सदस्यों ने इन सन्देशों को कैसे स्वीकार किया? प्रारम्भ ही से उत्तरदायी नेताओं ने मिसिज व्हाइट के कार्यों का निरीक्षण निश्चय करने के लिए कि नबुवत के वरदान में वास्तविकता है अथवा नहीं, प्रेरित पौलुस चेतावनी देता है कि भविष्यद्धाणियों को तुच्छ न जानो, सब बातों को परखो जो अच्छी हो उसे पकड़े रहो.( 1 थिस 5:20,21)बाइबल की परख मिसिज व्हाइट के कार्यो को परखने में प्रयोग की गई;और वह ऐसा ही चाहती थी क्योंकि उन्होंने यों लिखा है:ककेप 27.5

    ” यह काम या तो परमेश्वर की ओर से है या है ही नहीं; परमेश्वर का शैतान के साथ कोई साझा नहीं. मेरे कार्यों पर विगत तीस वर्षों से या तो परमेश्वर की छाप रही या शत्रु की. इस मामले में दोनों का सम्मिलित कार्य नहीं है.’‘ धर्म पुस्तक चार कसौटी बताती है जिनसे नबो का परीक्षण किया जाता है. मिसिज व्हाइट का कार्य प्रत्येक कसौटी पर खरा उतरता है.”ककेप 28.1

    1-सच्चे नबी का सन्देश परमेश्वर की व्यवस्था और नबियों के सन्देश के अनुकूल होना चाहिए.(यशायाह 8:20)ककेप 28.2

    ई.जी. व्हाइट के लेख परमेश्वर की व्यवस्था का समादर करते हैं और प्रत्येक स्त्री पुरुष का नेतृत्व सम्पूर्ण धर्म पुस्तक की और करते है. वे इंगित करती हैं कि बाइबल विश्वास और अभ्यास का माप और विशाल प्रकाश है. और उसके उल्लेख जो उस विशाल प्रकाश के सामने दीपक के समान हैं,पाठकों का उस प्रकाश की ओर नेतृत्व करते हैं.ककेप 28.3

    2-सच्चे नबी के पूर्व कथन अवश्य पूर्ण होने चाहिए.( यिर्मयाह 28:6)ककेप 28.4

    यद्यपि मिसिज व्हाइट का काम अधिकतर मूसा के भांति लोगों को मार्गदर्शन तथा नेतृत्व करने का था तौभी उन्होंने अनेक घटनाओं का पूर्व-कथन के रुप में लिखा है जो पूर्ण होने वाली थी. हमारे छापे खाने का कार्य जब 1848 में शुरु हुआ तो उन्होंने वर्णन किया कि यह किस प्रकार बढ़कर अपने प्रकाश से पृथ्वी को घेर लेगा. सेवन्थ-डे ऐडवेनटिस्ट आज अपने पुस्तकादि को दो सौ भाषाओं में छापते हैं जिनका वार्षिक मूल्य दो करोड़ डालर अर्थात 20 करोड़ रुपये के लगभग होता है.ककेप 28.5

    सन् 1890 में जब दुनिया ने घोषित किया कि अब युद्ध न होंगे और एक हजार वर्षीय युग का अरुणोदय होने वाला है उसी समय एलन व्हाइट ने लिखा:” तूफान आने वाला है और हमें उसको प्रचंडता के लिए तैयार होना पड़ेगा....हमारे चारों ओर क्लेश दिखाई देगें. सहस्त्रों जहाज समुद्र की तह में बैठ जायंगे, जहाजों के बेड़े के बेड़े डूब जाएंगे और लाखों मनुष्यों के प्राणों की बली ली जाएगी. ये पूर्व कथन प्रथम तथा द्वितीय महायुद्ध में अक्षरशः पूर्ण हुए.’‘ककेप 28.6

    3.सच्चा नबी स्वीकार करेगा कि यीशु मसीह देह धारी होकर आया और परमेश्वर ने मानव-चोला धारण कर अवतार लिया है.(1 यूहन्ना 4:2)ककेप 28.7

    ‘‘डिजाएर ऑफ एजेज’‘ नामक पुस्तक के पढ़ने से स्पष्ट हो जाता है कि एलन व्हाइट की कृतियाँ इस परीक्षा में पूरी उतरी हैं. इन पदों पर ध्यान दीजिए:ककेप 28.8

    ‘योशु चाहता तो पिता की दाहिनी ओर रह सकता था. वह स्वर्गीय वैभव तथा दूतों की श्रद्धांजलि त्याग न करता. परन्तु उसने स्वेच्छा से राजदण्ड को पिता के हाथ में लौटा देना और स्वर्ग की गद्दी त्याग देना पसन्द किया ताकि अंधकार में पड़े हुओं को ज्योति और नाश होने वालों को जीवन पहुँचा सके.’‘ककेप 29.1

    ‘प्राय: दो हजार वर्ष हुये स्वर्ग में रहस्यमय आशय की एक आवाज सुनाई दी, ” इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तूने न चाही पर मेरे लिए एक देह तैयार किया --- देख, मैं आ गया हूँ (धर्म पुस्तक में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे ईश्वर तेरी इच्छा पूरी करें.’‘ (इब्रानियों 10:5-7)इन शब्दों में उस आशय के पूर्ण होने क सूचना दी गई जो अनादि युगों से गुप्त रहा है. मसीह हमारे जगा में आकर अवतार लेने वाला था ----सांसारिक दृष्टि से मसीह में कोई सौंदर्य नहीं है जिसको देखने की इच्छा की जाय, तौभी वह परमेश्वर का अवतार था और स्वर्ग तथा पृथ्वी का प्रकाश था. उसके ऐश्वर्य पर पर्दा डाला था, उसका प्रताप व तेज छिपा था ताकि वह शोकातुर और प्रलोभित व्यक्तियों के निकट आ सके.’‘ककेप 29.2

    4.शायद सच्चे नबी का निर्णायक उसके जीवन कार्य तथा उसकी शिक्षा के प्रभाव में पाया जाता है. मसीह ने इस परीक्षण का सारांश मत्ती 7:14,16 में बतलाया गया है, ‘’उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे.” ककेप 29.3

    जब हम एलन जी. व्हाइट के जीवन का निरीक्षण करते हैं तो हमें यही कहना होगा कि उन्होंने अपने सिद्धानतों के अनुसार और नबी से जो आशा कीजाती है उन बातों के अनुकूल एक प्रशंसनीय मसीही जीवन व्यतीत किया.ककेप 29.4

    जब हम इन परिणामों को देखते हैं जो नबुवत के आत्मा के परामर्शों पर चलने वालों के जीवन में प्रगट हुए हैं तो हम कह सकते है कि वह भी बहुत अच्छा है. साक्षियों द्वारा परिणाम अच्छे निकले हैं.जब हम कलीसिया पर दृष्टि डालते हैं यह जानते हुए कि इन्हीं परामर्शो के द्वारा हमारी विभिन्न प्रकार की कार्यवाहियों की ओर पथ-प्रदर्शन हुआ है तो हमको मान लेना पड़ता है कि मिसिज व्हाइट का कार्य इस परीक्षा में भी खरा उतरता है. सत्तर सालों से अधिक समयों में लिखे गये उल्लेखों का पारस्परिक एक्स व मेल इस वरदान की यथार्थता की एक पक्की गवाही है.ककेप 29.5