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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    विजय के लिये प्रतिज्ञा

    मैं सरगरमी के साथ प्रार्थना करती हूं कि जो काम इस समय में कर रहे हैं उसका हृदय,मन और आत्मा पर गहरा प्रभाव हो जाय.कठिनाइयों की वृद्धि तो होगी;परन्तु हम परमेश्वर में विश्वास रखने वालों के नाते एक दूसरे को प्रोत्साहन दें. आइये हम स्तर को नीचा न होने दें परन्तु उसको ऊंचा उठाये और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने हारे को अर्थात् उसको (यीशु को)ताकें.जब रात के समय मैं सोने से असमर्थ होतो हूँ ,तो अपना हृदय प्रार्थना में परमेश्वर की ओर उठाती हैं तो वह मुझे बल और आश्वासन देता है कि वह सेवा करने वाले सेवकों के साथ स्वदेश में और सुदूर विदेशों में भी है.जब मैं महसूस करती हूँ कि इस्राएल का परमेश्वर अब भी अपने लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है और उनके साथ अंत तक रहेगा तो मुझे प्रोत्साहन और आशीर्वाद प्राप्त होता है. ककेप 363.1

    परमेश्वर यह देखने की इच्छा करता है कि तीसरे दृत का संदेश उन्नतिपूर्ण कार्य क्षमता के साथ आगे पहुंचाया जाये जैसे उसने सारे युगों में अपने लोगों की विजय होने में सहायता की है इसी तरह वह इस युग में भी अपनी मंडली के हितार्थ अपने मनोरथों को विजयपूर्ण सफलता देना चाहता है.वह अपने विश्वासी धर्मो जनों को आज्ञा देता है कि वे संयुक्त हो कर बल में अधिक सामर्थवान होकर और विश्वास में सत्य और उसके कार्य की धार्मिकता में अधिक आश्वासन तथा भरोसा रख कर आगे बढ़े. ककेप 363.2

    हमें परमेश्वर के वचन के सिद्धान्तों के प्रति चट्टान की तरह दृढ़ रहना चाहिये यह स्मरण रखते हुये कि परमेश्वर हमें हर नये अनुभव का सामना करने में शक्ति देने को हमारे साथ है.आइये हम अपने जीवन में धार्मिकता कि सिद्धान्त कायम रखें जिससे हम परमेश्वर के नाम में सामर्थ्य से सामर्थ्य तक आगे बढे.हम को उस विश्वास को अति ही पवित्र समझ कर सम्भालना चाहिये जो हमारे आरम्भिक अनुभव से लेकर वर्तमान समय तक परमेश्वर की आत्मा उपदेश तथा स्वीकृति द्वारा प्रमाणित किया गया है.आज्ञापालक लोगों के द्वारा जिस काम को परमेश्वर आगे चला रहा है उसको हमें बहुत ही बहुमूल्य समझना चाहिये जो उसके अनुग्रह की शक्ति द्वारा समय की वृद्धि के साथ अधिक दृढ़ और कार्यक्षम होता जायगा.शत्रु परमेश्वर के लोगों के विवेक को धुंधला और उनकी कार्यक्षमता को निर्बल करने की चेष्टा कर रहा है परन्तु यदि वे परमेश्वर की आत्मा के आदेशानुसार परिश्रम करेंगे तो वह उनके सामने शुभअवसरों के दरवाजे खोल देगा जिससे पुराने उजाड़ स्थानों के निर्माण का काम किया जा सके.उनका अनुभव निरंतर तब तक बढ़ता जायगा जब तक कि प्रभु सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ अपने विश्वस्त सेवकों के ऊपर अंतिम विजय की छाप लगाने स्वर्ग से न उतरेगा.ककेप 363.3

    वह काम जो हमारे सन्मुख है उसमे मानव की पूर्ण शक्ति की आवश्यकता है.उसमें दृढ़ विश्वास और निरंतर सतर्कता की मांग की जाती है.कभी कभी कठिनाइयां जिनका सामना हमें करना पड़ेगा अत्यन्त निराशाजनक होंगो.काम के भारीपन से हम चौंक उठेंगे.फिर भी परमेश्वर की सहायता से उसके दास अंत में विजयी होंगे.’’इस लिये मैं विनती करता हूं कि तुम...हियाब न छोड़ो.’’(इफिसियों 3:13)उन व्याकुल करने वाले अनुभवों के कारण जो आप के आगे हैं अपने मन में न डरो.यीशु आप के साथ होगा, वह पवित्र आत्मा के द्वारा आप के आगे आगे चलेगा और मार्ग तैयार करेगा.वह हर कठिन घड़ी में आप का सहायक होगा.’’अब जो ऐसा सामर्थ्य है कि हमारी विनती और समझ में कहीं अधिक काम कर सकता है,उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है कलीसिया में, और मसीह यीशु में उसकी महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे.ककेप 363.4

    मैं उन दृश्यों के कारण जौ हाल ही में रात्रि के दर्शन के समय मेरे सामने से गुजरे बहुत प्रभावित हुई. एक बड़ा आंदोलन दिखाई दिया -पुन-जीवन का कार्य जिसकी बहुत स्थानों में जागृति हुई.हमारे लोग पक्तियों में बढ़ रहे थे और परमेश्वर की बुलाहटों का उत्तर दे रहे थे.मेरे भाइयों परमेश्वर हम से बोल रहा है.क्या हम उसका शब्द न सुनेंगे? क्या हम अपनी वत्तियों को सजा कर उन लोगों की तरह काम न करेंगे जो अपने स्वामी के आगमन की बाट जोहते हैं? यह वह समय है जो प्रकाश ले जाने और कार्य करने काककेप 364.1

    “सो मैं ...तुम से विनती करती हैं कि जिस बुलाहट से तुम बुलाये गये थे उसके योग्य चाल चलो;अर्थात् सारी दीनता और नम्रता सहिता और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सलाह लो.और मेल के बंध में आत्मा की एकता को रखने का यत्न करा.’’(इफिसियों 4:1-3)ककेप 364.2

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