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कलीसिया के लिए परामर्श - Contents
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    परमेश्वर की स्वीकृति की आश्वासन चाहने वालों को परामर्श

    आपको कैसे पता लगेगा कि परमेश्वर ने आपको स्वीकार कर लिया है.उसके वचन को प्रार्थना के साथ पढ़िए.किसी दूसरी पुस्तक के कारण उसे एक ओर न रख दीजिए, यह पुस्तक पाप के विषय में दोषी ठहराती है. यह स्पष्टता से मोक्षमार्ग दिखलाती है.यह आशापूर्ण तथा महिमामय प्रतिफल की झलक दिखलाती है. यह आपको एक सामर्थी सृष्टिकर्ता को प्रकट करती है और सिखलाती है कि केवल उसकी असीम दया के कारण आपको मोक्ष की आशा हो सकती है.ककेप 96.5

    गुप्त प्रार्थना की अवहेलना न कीजिए क्योंकि यही धर्म का प्राण है.उत्साहपूर्ण जोशीली प्रार्थना के साथ आत्मा की शुद्धि के लिए विनती कीजिए ! ऐसे उत्साह,ऐसी उत्सुकता के साथ विनय कीजिए जैसे खतरे के समय नाश मान जीवन के लिए की जाती है. परमेश्वर के सन्मुख उस समय तक रहिये जब तक त्राण के लिये अकथनीय अभिलाषाएं आपके हृदय में उत्पन्न न हो जाये और हृदय में पापमोचन का संतोषजनक प्रमाण प्राप्त न हो जाए,ककेप 97.1

    यीशु ने आपको परीक्षाओं और कठिनाइयों में परेशान होने को नहीं छोड़ दिया है.उसने उनके विषय में सब बतला दिया है और यह भी बतला दिया है कि जब परीक्षाएं आयें तो धैर्य न खो दो और न दु:खी हो.मसीह अपने त्राणकर्ता को देखिये और आदत हुजिये. सकटें जो भाईयों की ओर से और गाढ़े मित्रों की ओर से आती हैं सबसे कठिन होती हैं मगर इनका भी धैर्य के साथ सहन करना चाहिये.यीशु युसुफ की नई कब्र में नहीं लेटा है. वह जी उठा है और स्वर्ग को चला गया है कि हमारे लिये सिफारिश करे. हमार ऐसा त्राणकर्ता है जिसने हमको इतना प्यार किया कि हमारे लिये अपने प्राण दे दिये कि उसके द्वारा हम को आशा, बल और धैर्य और उसके सिंहासन में उसके साथ एक स्थान प्राप्त हो सके. जब कभी आप उसको पुकारें वह सहायता करने को योग्य और राज़ी है.ककेप 97.2

    क्या आप उस जिम्मेदारी की जगह जिसको आप भरे हुये हैं अपने को अयोग्य समझते हैं.यदि ऐसा समझते हैं तो परमेश्वर का धन्य हो.जितना अधिक आप अपनी कमजोरी को महसूस करेंगे उतना ही अधिक आप एक सहायक की खोज करेंगे.’’ईश्वर के निकट आओ तो वह तुम्हारे निकट आवेगा.’’(याकूब 4:8)यीशु आप को सुखी और आनांदित देखना चाहता है कि आप अपनी ईश्वरदत्त योग्यता का अच्छा उपयोग करें, फिर परमेश्वर की मदद पर भरोसा रखें कि वह उनको उठायेगा जो आप के भार उठाने में सहायता होंगे.ककेप 97.3

    लोगों के कठोर वचनों से आपको कोई हानि न हो.क्या लोगों ने मसीह के बारे में कठोर शब्द न कहे थे? आप तो गलती करते हैं और हो सकता है कि आप कटु शब्दों को कहे जाने का मौका दें परन्तु यीशु ने कभी मौका नहीं दिया.वह पवित्र,स्वच्छ, निष्कलंक था.इस जीवन में महिमा के राजकुमार से बढ़कर भाग्य की आस न रखिएजब आप के बैरी देखेंगे कि आप भी बुरा मानते हैं तो वे प्रसन्न होंगे और शैतान भी प्रसन्न होगा.मसीह को देखिये और निर्मल हृदय से उसकी महिमा के लिये काम कीजिए. अपने हृदय को परमेश्वर के प्यार में रखिये.ककेप 97.4